अंधविश्वास का जाल... गांव-समाज से अलग गंगाजल पीकर लाश के साथ अंधेरे में रहता था परिवार, सभी हैं चकित
अभयराज की पत्नी और बेटियां लाश के साथ अंधेरे में रहकर सिर्फ गंगा जल पीते हुए झाड़ फूंक और मंत्र जप रही थीं ताकि अंतिमा की लाश जिंदा हो उठे। घर के अंदर के मंजर ने एकबारगी वहां पुलिसवालों को भी दहशत में डाल दिया था।
प्रयागराज, जेएनएन। यह कहानी अंधविश्वास में डूबे उस परिवार की है जिसकी हरकतों ने ग्रामीणों के साथ ही पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों तथा डाक्टरों को भी हैरान कर दिया है। प्रयागराज शहर से तकरीबन 25 किलोमीटर करछना के धरी गांव में रहने वाले अभयराज यादव का परिवार मंगलवार शाम से सुर्खियों में है। उसने अपनी 14 साल की बीमार बेटी अंतिमा का इलाज नहीं कराया और पांच रोज पहले मौत के बाद से लाश को घर के भीतर रखकर उसे दोबारा जिंदा करने के लिए अजीबो गरीब हरकतें और तंत्र-मंत्र करता रहा है। अभयराज की पत्नी और बेटियां लाश के साथ अंधेरे में रहकर सिर्फ गंगा जल पीते हुए झाड़ फूंक और मंत्र जप रही थीं, ताकि अंतिमा की लाश जिंदा हो उठे। घर के अंदर के मंजर ने एकबारगी पुलिसवालों को भी दहशत में डाल दिया था।
सुबह एक गैलन गंगाजल और फिर उससे दिन भर गुजारा
परिवार का मुखिया अभयराज यादव पहले एक कंपनी में नौकरी करता था। घरवालों की जिद और अंधविश्वास के चलते वह भी नौकरी छोडकर घर पर रहने लगा। उसकी पांच बेटियों में चार की शादी हो गई थी लेकिन वे भी मायके में आकर रहने लगी थीं। पिछले साल भर से पूरा परिवार तांत्रिकों के जाल में उलझकर अंधविश्वास में फंसा था। पानी की बजाय गंगाजल पिया जा रहा था। अभयराज रोज सुबह घर से गंगा स्नान करने जाता और फिर वहां से गैलन में गंगाजल भरकर लाता। परिवार के लोग यही गंगाजल पीते और खाने के नाम पर लाई-चना चबाते बस...।
रहस्य से भरा परिवार, गांव-समाज से अलग
बेटी अंतिमा की कई महीने से बीमारी के दौरान यही दौर चलता रहा। उसकी मौत के बाद भी परिवार अंधेरे में ही तंत्र मंत्र करता रहा। गेट में बाहर से ताला बंद रहता। परिवार खिड़की से आता-जाता। किसी से कोई मिलना-जुलना नहीं। गांव-समाज से अलग। कहीं आना-जाना नहीं, रहस्य से भरा परिवार। फिलहाल पुलिस ने मंगलवार रात अंतिमा का शव किसी तरह कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और परिवार की महिलाओं को इलाज के लिए भर्ती कराया। डाक्टरों का कहना है कि खासतौर पर महिलाएं अंधविश्वास से ग्रसित हैं।