प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में संगम तीरे तंबुओं की नगरी जनवरी-2022 बसेगी। भूमि समतलीकरण, घाट निर्माण का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। दिसंबर के द्वितीय सप्ताह में महात्माओं व श्रद्धालुओं को भूमि आवंटन किया जाएगा। इस बार महात्माओं की खेमेबाजी के बीच जमीन व सुविधा वितरण करना प्रशासन के समक्ष बड़ी चुनौती होगी।
अब तक एकमुश्त जमीन दी जाती थी
हर बार खाकचौक, दंडी स्वामी नगर व आचार्य नगर के संगठन को एकमुश्त जमीन दी जाती थी। समिति के पदाधिकारी उसे अपने-अपने संतों को वितरित करते थे, लेकिन बीते वर्ष हर सम्प्रदाय के महात्मा बंट गए हैं। अलग-अलग गुट बनने से प्रशासन की दिक्कत बढ़ गई है।
खाकचौक व्यवस्था समिति दो भागों में बंटी
माघ मेला में खाकचौक के महात्माओं की संख्या सबसे अधिक है। खाकचौक व्यवस्था समिति के जरिए सबको जमीन व सुविधा वितरित होती रही है, परंतु जनवरी 2021 में समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर सीताराम दास व महामंत्री महामंडलेश्वर संतोष दास 'सतुआ बाबा' के बीच विवाद हो गया। दोनों ने अलग-अलग समिति बना लिया है। वे खुद को सही बताकर प्रशासन पर मान्यता देने का दबाव बना रहे हैं।
दंडी संन्यासियों की भी खेमेबाजी
दंडी संन्यासी भी दो खेमे में बंट गए हैं। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति व अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के नाम से संगठन बन गया है। दोनों संगठन के बीच सामंजस्य स्थापित करके जमीन व सुविधा का वितरण कराना होगा। कुछ ऐसी ही स्थिति रामानुज सम्प्रदाय के महात्माओं की है। पहले रामानुज सम्प्रदाय के महात्माओं को आचार्य नगर के महात्माओं को श्रीरामानुज नगर प्रबंध समिति (आचार्यबाड़ा) के जरिए जमीन व सुविधा वितरित होती थी। बीते वर्ष डा. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य 'कौशल जी महाराज' अखिल भारतीय श्रीरामानुज वैष्णव समिति (आचार्यबाड़ा) का गठन कर लिया। माघ मेला को लेकर दोनों संगठन आने वाले दिनों में अलग-अलग बैठक करेंगे। ऐसी स्थिति में अधिकारियों के समक्ष सबको संतुष्ट करने की चुनौती होगी।
प्रशासन स्वयं हर सम्प्रदाय के महात्माओं को भूमि वितरित करे : स्वामी रामतीर्थ दास
स्वामी रामतीर्थ दास कहते हैं कि प्रशासन स्वयं हर सम्प्रदाय के महात्माओं को जमीन व सुविधा वितरित करे। ऐसा करने से विवाद की स्थिति खत्म हो जाएगी। अगर संगठन के जरिए वितरण होगा तो विवाद बढ़ेगा, क्योंकि एक पक्ष के संतुष्ट होने पर दूसरा असंतुष्ट हो जाएगा। इससे मेला का स्वरूप बिगड़ जाएगी।
जानें, क्या कहते हैं मेला अधिकारी
मेला अधिकारी संत कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी तो जमीन का आवंटन शुरू नहीं हुआ है। गंगा के किनारे दलदल भी है। संतों को जमीन आवंटन में कोई नई परंपरा नहीं शुरू करेंगे। जैसा पहले होता आया है, उसी के अनुसार किया जाएगा।
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