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प्रयागराज की अर्चना का बालीवुड में कास्ट्यूम डिजाइनर का सपना सच हुआ, लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता

बालीवुड में कास्ट्यूम डिजाइनर का सपना लेकर अर्चना मिश्रा वर्ष 2008 में मुंबई गई थीं। लंबे संघर्ष और जिद्दोजहद के बाद भुज प्राइड आफ इंडिया नामक फिल्म में कास्ट्यूम डिजाइनर का मौका मिला। इस सफल भूमिका निभाने के बाद वह अपना मुकाम हासिल करने की ओर बढ़ रही हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:03 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:03 AM (IST)
प्रयागराज की अर्चना का बालीवुड में कास्ट्यूम डिजाइनर का सपना सच हुआ, लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता
प्रयागराज के यमुनापार क्षेत्र के समहन गांव की निवासी अर्चना मिश्रा बतौर कास्‍ट्यूम डिजाइनर मुंबई में सफल हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उड़ान के लिए पंख मजबूत हों और मन में दृढ़ संकल्प हो तो व्यक्ति किसी न किसी दिन अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है अर्चना मिश्रा के साथ। अर्चना मूल रूप से प्रयागराज के यमुनापार क्षेत्र के समहन गांव की निवासी हैं। इनके पिता शोभाशंकर मिश्र को भी अपनी बेटी पर गर्व है। काफी संघर्ष को झेलने के बाद इनका सपना साकार हुआ। अब सफलता इनके कदम चूम रही है।

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कास्‍ट्यूम डिजाइनर का सपना लेकर मायानगरी पहुंचीं अर्चना

बालीवुड में कास्ट्यूम डिजाइनर का सपना लेकर अर्चना मिश्रा वर्ष 2008 में मुंबई गई थीं। जैसा कि आमतौर पर होता है फिल्मों में अपना मुकाम हासिल करने के लिए अनवरत संघर्ष करना पड़ता है और तमाम मुश्किलें भी झेलनी पड़ती हैं। अर्चना का सफर भी आसान नहीं था। उनके सफर में भी तमाम उतार-चढ़ाव आए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अथक मेहनत और पूर्ण समर्पण के साथ अपना संघर्ष जारी रखा। लंबे संघर्ष और जिद्दोजहद के बाद 'भुज: प्राइड आफ इंडिया' नामक फिल्म में कास्ट्यूम डिजाइनर का मौका मिला। इस सफल भूमिका निभाने के बाद अर्चना मिश्रा को लगता है कि वह अपना मुकाम हासिल करने की ओर बढ़ रही हैं।

फिल्म के लिए 1971 के आर्मी और एयरफोर्स आफिसर्स की ली मदद

1971 के भारत-पाक युद्ध पर बनी इस फिल्म के लिए बतौर कास्ट्यूम डिजाइनर अर्चना ने दिन-रात मेहनत की। फिल्म के हिसाब से अलग-अलग रेजिमेंट्स की अलग-अलग यूनिफार्म, वैसप, बैज की व्यवस्था करनी थी। इस फिल्म के हर कलाकार को जीवंत करने के लिए उन्हेंं 1971 के आर्मी और एयर फोर्स आफिसर्स की मदद लेनी पड़ी। इस कार्य में उन्हेंं एयरफोर्स के अवकाश प्राप्त अधिकारी वरुण सिंघा, लक्ष्मण कर्णिक और विजय कर्णिक से मदद मिली। उन्हेंं कई बार दिल्ली म्यूजियम भी जाना पड़ा। फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक दुधैया के आग्रह पर वर्ष 2019 में वह इस प्रोजेक्ट से जुड़ीं। यह फिल्म सत्य घटना पर आधारित है, इसलिए इसके कलाकारों का पहनावा रियल लगना चाहिए। इस फिल्म में काम करने के लिए अर्चना को अपने अन्य प्रोजेक्ट छोडऩे पड़े।

धारावाहिक और टीवी शो में भी दिखाया हुनर

भुज फिल्म की शूटिंग के दौरान रबारी जनजाति के रहन-सहन और उनके पहनावे को भी दर्शाया जाना था। इसके लिए 200-300 लोगों का ड्रेस तैयार करना और ज्वैलरी बनवाना और वह भी दो-तीन दिन के अंदर एक कठिन टास्क था, जिसमें अर्चना खरी उतरीं। अर्चना कहती हैं कि पूरी टीम की कड़ी मेहनत के बाद जब इस फिल्म का ट्रेलर लांन्च हुआ तो वह किसी सपने से कम नहीं था। वर्ष 2008 मेंं अर्चना ने टीवी सीरियल में बतौर असिस्टेंट अपने करियर की शुरुआत की। अपने काम की बदौलत वह एसोसिएट कास्ट्यूम स्टाइलिस्ट बनीं और अंत में उन्हेंं कास्ट्यूम डिजाइनर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

धारावाहिकों व टीवी एपीसोड में भी दिखाया हुनर

अपने फिल्मी सफर में इन्होंने बहुत से धारावाहिक और टीवी एपीसोड में अपना हुनर दिखाया है। साथिया, परवरिश, छोटी बहू-2, उतरन, सपनों से भरे नैना, प्रतिज्ञा, ये रिश्ता क्या कहलाता है, खामोशियां जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में बतौर कास्ट्यूम स्टाइलिस्ट काम किया। क्रिएटिव आई जैसे बड़े बैनर के साथ जुड़कर नियति और तुम संग प्रीत लगाई साजन में अपने काम का लोहा मनवाया। कुछ शार्ट फिल्मों में भी उन्होंने काम किया पर उनका सपना पूरा हुआ 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' में।


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