Universities की गिरती साख पर परेशान दिखे थे प्रणब दा Prayagraj News
मंच पर अपने सम्बोधन के दौरान कहा था कि शीर्ष विश्वविद्यालयों के सर्वे पर सवाल उठाने के बजाय हमें उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारकर शीर्ष 10 से 50 के बीच में जगह बनाने की आवश्यकता है।
प्रयागराज,जेएनएन। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 25 दिसम्बर 2012 को मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। यहां मंच पर वह विश्वविद्यालयों की गिरती साख को लेकर काफी व्यथित दिखे थे। उसी वक्त दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग जारी हुई थी। उसमें शीर्ष 200 की सूची में भारत के एक भी विश्वविद्यालय को जगह नहीं मिली थी।
देश में विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने की भी बात कही थी
इस पर कुछ विश्वविद्यालय की तरफ से सर्वे पर सवाल खड़े किए गए थे। इससे चिंतित प्रणब दा ने एमएनएनआइटी में मंच पर अपने सम्बोधन के दौरान कहा था कि शीर्ष विश्वविद्यालयों के सर्वे पर सवाल उठाने के बजाय हमें उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारकर शीर्ष 10 से 50 के बीच में जगह बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने देश में विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने की भी बात कही थी।
भारत में शोध के स्तर पर जताई थी चिंता
उन्होंने पाठ्यक्रमों को विकसित करने के साथ रोजगारपरक शिक्षा तथा दूरस्थ शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने की भी बात कही थी। उन्होंने भारत में शोध के स्तर पर भी चिंता जताई थी। वर्ष 2011 के शोध का हवाला देते हुए बताया था कि स्नातक में 260 लाख छात्र थे और पीएचडी में केवल एक लाख। उन्होंने वर्ष 2010 में किए गए शोध का जिक्र किया। बताया था कि वर्ष 2010 में भारत ने पेटेंट के लिए महज छह हजार आवेदन किये थे। जबकि, चीन ने छह लाख, जर्मनी ने 1.7 लाख, जापान ने 4.64 लाख और अमेरिका ने 4.2 लाख आवेदन किए थे। कहा था कि अब आंकड़े गवाह हैं कि हम कितने पीछे हैं। इस दौरान उन्हेंं संगम की तस्वीर भी भेंट की गई थी। इसे देखकर वह प्रफुल्लित हो उठे थे।