फाइलों में टिमटिमा रहा प्रतापगढ़, सैकड़ों घर अब भी अंधेरे में
विभाग ने आनन-फानन में एक जनवरी 2019 को जिले को संतृप्त घोषित कर वाहवाही बटोर ली। यह जानकर सैकड़ों गांवों के लोग खुद को ठगा सा महसूस किए।
प्रतापगढ़,जेएनएन। हर घर में बिजली की रोशनी पहुंचाने के लिए सौभाग्य विद्युतीकरण योजना चलाई गई। इसमें में बिजली विभाग और कार्यदायी संस्था ने प्रतापगढ़ में ऐसा खेल किया, कि डेढ़ हजार पुरवे अब भी अंधेरे में हैं। गांव के अंतिम छोर के व्यक्ति की झोपड़ी तक बिजली की रोशनी पहुंचाने का सरकार का दावा फाइलों में टिमटिमा रहा है। जनपद की आबादी 36 लाख से अधिक की है। इस जिले में बड़े पैमाने पर जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में बिजली दौड़ाई, पर हजारों गांव फिर भी छूटे रहे। ऐसे पुरवों व गांवों के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में सौभाग्य योजना शुरू की। इसमें प्रतापगढ़ के छह हजार पांच सौ पुरवे चुने गए।
जनवरी 2019 को जिले को संतृप्त घोषित कर विभाग ने वाहवाही बटोर ली
यहां इनमें विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 389 करोड़ रुपये मंजूर किए। कार्यदायी संस्था बजाज ने काम शुरू किया। गांवों में खंभे गिरने लगे। तार के बंडल लाए जाने लगे। यह देख आजादी के बाद से बिजली न पाने वाले लोगों में सौभाग्य की रोशनी की उम्मीद चमक उठी। बाद में इस कार्य को मनमानी व मुनाफाखोरी का करंट लगा। विभाग ने आनन-फानन में एक जनवरी 2019 को जिले को संतृप्त घोषित कर वाहवाही बटोर ली। यह जानकर सैकड़ों गांवों के लोग खुद को ठगा सा महसूस किए।
संसद में उठा मामला तो अफसर हरकत में आए
सांसद संगम लाल गुप्ता ने डेढ़ हजार से अधिक गांवों को छोड़कर सौभाग्य का ढिंढोरा पीटने का मामला लोकसभा में उठा दिया। अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए कहा कि जो मजरे बचे हैं वहां पर काम कराया जाएगा। उपकरण कम पड़ जाने से काम रुक गया था। इस बारे में मुख्य अभियंता प्रयागराज मंडल इं. ओपी यादव का कहना है कि विभाग ने फिर से सर्वे कराया है। उसमें करीब 900 पुरवे संतृप्त नहीं पाए गए। वहां पर काम होगा। इसके लिए समय मिला है। लाकडाउन के चलते काम नहीं हो पाया, अब कराएंगे।