गंगा में एसटीपी से बहाया जा रहा अर्द्ध शोधित पानी, प्रयागराज में उदासीन हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी
पार्षद कमलेश सिंह का कहना है कि शास्त्री पुल के नीचे शवदाहगृह स्थल पर गंगा जल से शवों के ऊपर स्नान कराया जाता है। इससे जल से दुर्गंध उठती है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोविड में मछलियों का आहार न करें क्योंकि मछलियां शवों को खाती हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। बक्शी बांध सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से नाले का पानी अर्द्ध शोधित करके गंगा में बहाया जा रहा है। लेकिन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इसके प्रति बिलकुल उदासीन हैं। पार्षद कमलेश सिंह का कहना है कि इस बारे में मालूम करने पर जानकारी हुई कि मोरी गेट को इस एसटीपी से पानी भेजा जा रहा है। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अभियंताओं द्वारा यह बताया गया कि अलोपीबाग सीवरेज पंपिंग स्टेशन पर पानी की मात्रा ज्यादा है, इसकी वजह से बक्शी बांध एसटीपी भेजा जा रहा है। मेंहदौरी एसटीपी नहीं। इसकी वजह से बक्शी बांध एसटीपी से अर्द्ध शोधित सीधे गंगा में बहाया जा रहा है।
शवो की वजह से भी प्रदूषित हो रही है गंगा
पार्षद कमलेश सिंह का कहना है कि शास्त्री पुल के नीचे शवदाहगृह स्थल पर स्वजनों द्वारा गंगा के पवित्र जल से शवों के ऊपर स्नान कराया जाता है। इससे जल से दुर्गंध उठती है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोविड में मछलियों का आहार न करें, क्योंकि मछलियां शवों को खाती हैं। उनका कहना है कि जब मनुष्य के छूने से मनुष्य को कोरोना फैल रहा है तो कोविड से मरने वाले व्यक्तियों के शवों को मछली खाएगी तो क्या उसमें इसका फैलाव नहीं होगा। इसलिए लोगों को मछलियां नहीं खाना चाहिए। फाफामऊ घाट पर रेलवे से पूरब की तरफ शव दफनाए गए हैं। ऐसे शवों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की भी उन्होंने मांग की। क्योंकि उन शवों को कुत्ते नोच रहे हैं, जिससे वही शव गंगा में बहकर जाएगा। उनका दावा है कि केंद्र सरकार द्वारा 2600 करोड़ रुपये 53 जिलों को दिया गया था लेकिन प्रयागराज में विद्युत शवदाह गृह का निर्माण नहीं हुआ।