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बक्शी बांध दोहरा हत्याकांड : अरे यह क्या हो गया, एक नहीं दो-दो लाश है

दारागंज के बक्‍शी बांध पर दो युवकों की हत्‍या हुई थी। आज तक न मरने वालों के बारे में पता चल सका और न ही हत्‍यारों की ही जानकारी हो सकी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 03:14 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 03:14 PM (IST)
बक्शी बांध दोहरा हत्याकांड : अरे यह क्या हो गया, एक नहीं दो-दो लाश है
बक्शी बांध दोहरा हत्याकांड : अरे यह क्या हो गया, एक नहीं दो-दो लाश है

प्रयागराज : अरे यह क्या हो गया। एक नहीं दो-दो लाश है। पेट्रोल डालकर जलाई भी गई है। 30 मार्च 2018 को बक्शी बांध पर मार्निंग वॉक कर रहे लोगों के मुंह से ऐसे ही कुछ शब्द निकले थे। रोजाना की तरह वह उस सुबह भी पैदल टहल रहे थे, तभी बांध पर रोड किनारे थोड़ी-थोड़ी दूर पर दो अधजली लाशें पड़ी दिखी थीं। दोहरे हत्याकांड से जिले में सनसनी फैल गई थी।

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 तत्कालीन आइजी रमित शर्मा, एसएसपी आकाश कुलहरि समेत अन्य पुलिस अधिकारियों ने जल्द ही हत्याकांड का राजफाश करने का दावा भी किया था। वहीं कातिल तो दूर, मरने वालों का पता भी नहीं चल सका। वारदात करीब 10 माह पहले हुई थी, पर पुलिस की विवेचना से अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। घटना के बाद दारागंज पुलिस ने अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया था।

मरने वाले एक की उम्र 22 तो दूसरे की 32 वर्ष थी

मृतकों की उम्र करीब 22 और 32 साल आंकी गई थी। शिनाख्त के लिए उनकी तस्वीर को जगह-जगह दीवारों पर चिपकाया गया था। दारोगा और सिपाही पोस्टर लेकर कई दिनों तक इधर-उधर भटकते रहे और सोशल मीडिया के जरिए पहचान की कोशिश हुई, लेकिन नतीजा शून्य रहा। ऐसा ही हाल कातिलों को भी पकडऩे में रहा। क्राइम ब्रांच, स्पेशल टॉस्क फोर्स और थाने की पुलिस एक भी हत्यारोपित का पता नहीं लगा सकी।

सारे राज भी हो गए दफन

मृतकों की शिनाख्त न होने और कातिलों की गिरफ्तारी न होने के कारण इस सनसनीखेज वारदात का राज भी दफन हो गया। किसने और क्यों हत्या की, इसका पता भी नहीं चल सका है। शुरुआती जांच में माना गया था किसी दूसरे स्थान पर हत्या करके लाश यहां जलाई गई है। मजदूरी के पैसे, आपसी विवाद, आशनाई समेत कई बिंदुओं पर तफ्तीश हुई, लेकिन पुलिस वजह तक का पता नहीं लगा सकी।

शिनाख्त को कई राज्यों से किया गया था संपर्क

जिस वक्त दो युवकों की हत्या हुई थी, उस दौरान बांध पर निर्माण कार्य चल रहा था। माना जा रहा था कि मृतक मजदूर हो सकते हैं। इसी आधार पर ठेकेदारों के रजिस्टर खंगाले गए। लाइन में खड़ा करके मजदूरों से पूछताछ की गई। इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार व झारखंड की पुलिस से संपर्क किया गया था। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के तत्कालीन महाप्रबंधक समेत अन्य से भी सवाल-जवाब किया गया था। इंस्पेक्टर दारागंज विनीत सिंह का कहना है कि मामले की विवेचना चल रही है।


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