सोरांव सामूहिक हत्याकांड : तीन दिन बाद भी जांच में जुटी पांच टीमें किसी नतीजे पर नहीं पहुंची Prayagraj News
सोरांव सामूहिक हत्याकांड में क्राइम ब्रांच और स्वाट समेत पांच टीम जांच और पूछताछ में लगी हैं। संदिग्ध से पूछताछ व कई को हिरासत में लिया गया है पर असली कातिल फरार ही हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। सोरांव स्थित युसूफपुर के सामूहिक हत्याकांड में अब तक की पुलिस जांच में कोई खास सुराग नहीं मिल सका है। हालांकि 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। मंगलवार को भी सात लोगों को उठाया गया था। पुलिस अधिकारी कहते हैैं कि काम चल रहा है। कोशिश है कि असली कातिल पकड़े जाएं। किसी निर्दोष को जेल नहीं जाना पड़े।
शनिवार की रात पांच लोगों को जान से मार दिया गया था
शनिवार रात घर के भीतर विजय शंकर तिवारी, उनके बेटे, बहू और दो मासूम बच्चों की हत्या के बाद से एसटीएफ के अलावा पुलिस की पांच टीम छानबीन में लगी है। जमीन की रंजिश में नामजद छह लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है लेकिन उनसे पूछताछ में पुलिस को कुछ खास नहीं मिला। वे खुद को बेकसूर बता रहे हैैं। पुलिस उनके मोबाइल कॉल डिटेल और करीबियों की भूमिका खंगाल चुकी है लेकिन पुलिस अधिकारी इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैैं।
अनुसूचित जाति बस्ती से भी दो लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया
क्राइम ब्रांच और स्वाट समेत पांच टीम जांच और पूछताछ में लगी हैं। अनुसूचित जाति की बस्ती से भी दो लोगों को उठाए जाने की खबर मिली है। आसपास के गांव से भी कुछ लोगों को क्राइम ब्रांच ने उठाकर पूछताछ की है। पुलिस की सभी टीम तीन रोज में 50 से ज्यादा संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
क्या कहते हैं एसपी क्राइम
एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र कहते हैैं कि रंजिशन हत्या और लूटपाट के एंगल पर ही तहकीकात हो रही है। फिलहाल कोई खास प्रगति नहीं है।
छह साल में गहरी होती गई दुश्मनी
मारे गए विजय शंकर तिवारी और नामजद आरोपित के बीच दुश्मनी 2014 से चल रही है जो महीने भर पहले चक रोड के विवाद गहरा गई। विजय शंकर के भाई कृपाशंकर मंगलवार को सूरत से यहां पहुंचे। उन्होंने बताया कि जमीन के झगड़े में 2014 में परिवार के इकलौते बचे मोनू का हाथ तोड़ दिया गया था। उसके हाथ में प्लेट लगी है। पिछले साल परिवार की ढाई बीघा जमीन पट्टïीदारों सच्चिदानंद आदि ने एक दलाल के जरिए सोनू प्रजापति और रामनरेश पटेल को बेच दी थी। उस मामले में विजय शंकर की ही तमाम पैरवी से जमीन वापस मिली और मुकदमा भी लिखा गया था। उस मामले से भी पट्टïीदार बेहद बौखलाए थे।
पट्टीदार महिलाओं को परेशान करते थे
सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर चुके विजय शंकर गांव में किसी से दबते नहीं थे। कृपाशंकर ने बताया कि परिवार के पुरुष रोजगार के लिए सूरत चले जाते तो पट्टïीदारों द्वारा महिलाओं को परेशान किया जाता था। इसी वजह से शक है कि विरोधी पट्टïीदारों ने ही यह कत्ल कराए हैैं।