अधिवक्ता ओम मिश्र हत्याकांड का पुलिस ने किय पर्दाफाश Prayagraj News
इस बीच पुलिस और एसटीएफ प्रयागराज ने गुरुवार को सुबह जेठवारा थाना क्षेत्र के कुटिलिया गांव के समीर मुस्तफा तौहीद इरफान को गिरफ्तार कर लिया।
प्रयागराज, जेएनएन : पड़ोसी प्रतापगढ़ में हुए बहुचर्चित अधिवक्ता ओम मिश्र हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पुलिस और एसटीएफ ने 25-25 हजार के दो नामजद आरोपितों समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त एक तमंचा बरामद किया है। पुलिस घटना में शामिल और शरण देने वाले पिता-पुत्र समेत पांच आरोपितों की तलाश कर रही है।
महेशगंज थाना क्षेत्र के कलिकापुर गांव निवासी ओम मिश्र पुत्र तीर्थराज मिश्र अधिवक्ता और विहिप के कुंडा के जिलाध्यक्ष थे। वह 15 जुलाई को दिन में 10:45 बजे बाइक से कचहरी आ रहे थे। रास्ते में जेठवारा थाना क्षेत्र के सोनपुर गांव के पास पीछे से आए बदमाशों ने उन्हें गोलियों से भून दिया था। इस घटना में मृतक के भाई लवलेश मिश्र ने समीर पुत्र लियाकत अली, मुस्तफा पुत्र अनीस, रऊफ पुत्र हफीज निवासीगण बेलाही, महेशगंज एवं महेंद्र यादव पुत्र राम बहादुर यादव निवासी लाल का पुरवा, महेशगंज व दो अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने चारों नामजद आरोपितों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया था। घटना के पांच दिन बाद 20 जुलाई को पुलिस और एसटीएफ प्रयागराज ने नामजद आरोपित रऊफ और महेंद्र यादव को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। अन्य आरोपितों की तलाश में पुलिस और एसटीएफ प्रयागराज की टीमें लगी थीं। पुलिस और एसटीएफ को जांच के दौरान जानकारी हुई कि समीर के मौसा मोहम्मद वकील और उसके बेटे नदीम ने उन्हें शरण दी थी। इस बीच पुलिस और एसटीएफ प्रयागराज ने गुरुवार को सुबह जेठवारा थाना क्षेत्र के कुटिलिया गांव के समीर, मुस्तफा, तौहीद, इरफान को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस लाइंस के सई कांप्लेक्स में गुरुवार शाम प्रेस कांफ्रेंस में एसपी अभिषेक सिंह ने घटना का पर्दाफाश करते हुए बताया कि ओम मिश्र की हत्या आजमगढ़ जेल में बंद तौसीम पुत्र लियाकत अली निवासी बेलाही ने कराई थी। घटना को अंजाम शूटर सादाब बाबा पुत्र सगीर निवासी जफरापुर कंधई व शहजाद पुत्र सरदार निवासी मानधाता और तौहीद अहमद पुत्र इमामुद्दीन निवासी कुटिलिया जेठवारा ने अंजाम दिया था। घटना के दिन रेकी तौसीम के भाई आमिर और इरफान निवासी भौरहन ने की थी। ओम मिश्र को पहली गोली तौहीद ने 315 बोर के तमंचे से मारी थी। इसके बाद शूटर सादाब व शहजाद ने पिस्टल से दो-दो गोली मारी थी। इस बात को तौहीद व समीर ने कबूल किया है। समीर को उसके मौसा मोहम्मद वकील व उसके बेटे नदीम निवासी महुआ गाबीवन लालगंज ने शरण दी थी। समीर व मुस्तफा पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। एसपी ने बताया कि नामजद आरोपित समीर, मुस्तफा के साथ तौहीद, इरफान को गिरफ्तार कर लिया गया है। तौहीद की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा बरामद कर लिया गया है। दोनों शूटरों, शरण देने वाले पिता-पुत्र व रेकी करने वाले आमिर की तलाश की जा रही है।
मुखबिरी की खुन्नस में तौसीम ने कराई हत्या :
आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे तौसीम को पुलिस ने 16 जनवरी 2019 को मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था। मुठभेड़ में तौसीम के पैर में गोली लगी थी। तौसीम को यह शक था कि ओम ने ही पुलिस से उसकी मुखबिरी की है। ओम की वजह से उसे जेल जाना पड़ा। इसी खुन्नस में तौसीम ने ओम की हत्या की योजना बना डाली। चर्चा थी कि जेल से तौसीम ने फोन पर ओम को धमकी भी दी थी। बाद में छह जून को तौसीम को प्रतापगढ़ जेल से आजमगढ़ जेल भेज दिया गया। आजमगढ़ जेल में तौसीम से उसका भाई समीर और दोस्त तौहीद मिले थे। वहीं पर हत्या की योजना बनाई गई। शूटर सादाब बाबा व शहजाद को तौसीम ने मुहैया कराया था। सादाब तौसीम का दोस्त था। इसलिए उसने हत्या करने के लिए पैसा नहीं लिया था। आमिर व समीर ने तौहीद को तमंचा मुहैया कराया था। जबकि शूटर अपनी-अपनी पिस्टल लेकर आए थे। पुलिस ने जेल में बंद तौसीम को मुल्जिम बनाया है।
सरेंडर करने को मौसा के घर ली थी शरण:
घटना के बाद से समीर और मुस्तफा फरार चल रहे थे। इधर-उधर की खाक छानते-छानते दोनों परेशान हो गए। उन्हें यह भी डर था कि पुलिस और एसटीएफ उनका एनकाउंटर भी कर सकती है। ऐसे में वह सरेंडर करने के लिए जुगाड़ की तलाश में थे। इसके लिए समीर दोस्त मुस्तफा के साथ मौसा वकील निवासी गाबी महुआवन के घर पर शरण लिए था। चर्चा है कि पुलिस और एसटीएफ ने समीर को कई दिन पहले रानीगंज अजगरा में ढाबे के पास और तीन दिन पहले मुस्तफा को वकील निवासी महुआ गाबीवन के घर से पकड़ा था। दबिश के दौरान समीर का मौसेरा भाई नदीम भाग गया था। जबकि वकील उस समय घर पर मौजूद नहीं था।
कई जिलों में एसटीएफ ने दी थी दबिश:
ओम मिश्र की हत्या के बाद समीर, मुस्तफा ने पहले लालगंज, जेठवारा, मानधाता, महेशगंज इलाके में शरण ली। पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने जब ताबड़तोड़ दबिश देनी शुरू की तो दोनों जिला छोड़कर भाग गए। फिर प्रयागराज, कौशांबी, रायबरेली, सुल्तानपुर, लखनऊ, हरदोई, इटावा में छिपते रहे। कुछ दिनों तक इनकी लोकेशन मुंबई और गुजरात में भी मिली थी। जहां-जहां दोनों आरोपितों की लोकेशन मिलती रही, एसटीएफ प्रयागराज और पुलिस की टीमें दबिश देती रहीं। दोनों आरोपित मोबाइल की इस्तेमाल कम कर रहे थे, इसलिए दोनों को ट्रेस करने में एसटीएफ को काफी पसीना बहाना पड़ा। एसटीएफ की टीमों की अगुवाई एएसपी नीरज पांडेय कर रहे थे। कई दिन तक एएसपी नीरज पांडेय ने यहां कैंप किया था।
बाइक पर पीछे बैठने की नहीं हुई पुष्टि:
ओम के परिजनों ने पुलिस को यह बताया था कि घर से निकलने के बाद महेंद्र यादव ने ओम को रोककर लिफ्ट ली थी। सोनपुर गांव पहुंचने पर महेंद्र ने बाइक रुकवाई और इतने में बदमाशों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। एसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि समीर, मुस्तफा समेत चारों आरोपितों ने पूछताछ में यह नहीं कबूल किया कि ओम की बाइक पर कोई और व्यक्ति बैठा था।
आमिर ने की थी सटीक रेकी:
पूरे घटनाक्रम में सटीक रेकी तौसीम के भाई आमिर ने की थी। गांव से ओम के निकलने की जानकारी आमिर ने तौहीद समेत अन्य को दी थी। आमिर के साथ जेठवारा तक इरफान भी रेकी कर रहा था। दोनों पल-पल की जानकारी दे रहे थे।
शूटर सादाब पहले भी जा चुका है जेल:
जेल में बंद तौसीम का दोस्त शूटर शादाब पहले भी अमेठी में लूट की घटना में जेल जा चुका है। उस पर जानलेवा हमला, आम्र्स एक्ट का मुकदमा भी दर्ज है। दूसरे शूटर शहजाद का आपराधिक रिकार्ड पुलिस खंगाल रही है।
ओम मिश्र की हत्या के बाद जमकर हुआ था बवाल:
ओम मिश्र की हत्या पर जमकर बवाल हुआ था। पुलिस से धक्कामुक्की करके भीड़ पीएचसी बाघराय से शव घर उठा ले गई थी। परिजन मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग पर अड़े थे। डीएम, एसपी के आश्वासन देने पर वह मान नहीं रहे थे। दूसरे दिन यानि 16 जुलाई को जिले की प्रभारी मंत्री स्वाती सिंह परिजनों को मनाने पहुंचीं थी। उन्होंने आरोपितों की गिरफ्तारी, चारों भाइयों को शस्त्र लाइसेंस, पत्नी को सरकारी नौकरी व 15.30 लाख की आर्थिक सहायता दिलाने के साथ ही 35 लाख रुपये की सहायता के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का आश्वासन दिया था। इसके बाद भी परिजन नहीं माने थे। बाद में शाम को परिजन ओम का शव लेकर कचहरी पहुंचे और धरने पर बैठ गए थे। एसपी कार्यालय में डीएम, एसपी से बार कौंसिल के सदस्य की अगुवाई में अधिवक्ताओं का प्रतिनिधिमंडल मिला था। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को शव उठाने दिया था। अभी भी शासन की तरफ से आर्थिक सहायता के रूप में मांगी गई धनराशि पीडि़त परिजनों को नहीं उपलब्ध करायी जा सकी।
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