जिले में हर साल बढ़ रहे 1500 टीबी के मरीज
विश्व क्षयरोग दिवस पर अगर टीबी के मरीजों की बात करें तो बढ़े हैं। प्रदेश की टॉप टेन सूची में प्रयागराज पांचवे स्थान पर है। शहर की अपेक्षा गांवों में टीबी रोग के मरीजों की संख्या अधिक है।
प्रयागराज : जिले में हर साल टीबी रोग के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यही कारण है कि प्रदेश की टॉपटेन की सूची में प्रयागराज पांचवें नंबर पर है। अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में टीबी के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है।
एक ओर दावा तो दूसरी ओर हकीकत
सरकार वर्ष 2025 तक टीबी रोग को पूर्ण रूप से खत्म करने का दावा कर रही है लेकिन यहां मरीजों की संख्या में कमी होने के बजाय इसमें वृद्धि होती दिख रही है। जनपद की बात करें तो यहां प्रतिवर्ष करीब 1500 टीबी के नए मरीज पाए जा रहे हैं। यह स्थिति सिर्फ एक जनपद की नहीं बल्कि अन्य जनपदों की भी है। ऐसे में वर्ष 2025 तक टीबी रोग का उन्मूलन होना चुनौतियों से भरा है।
लगातार बढ़ रहे टीबी के मरीज
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017 में 8778 टीबी के मरीज थे। इसके अलावा 202 एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) व 32 एक्सडीआर (एक्सट्रा ड्रग रजिस्टेंस) टीबी के मरीज चिह्नित किए गए थे। वहीं वर्ष 2018 में करीब 1500 टीबी के मरीज बढ़ गए, इसकी संख्या बढ़कर 10331 हो गई। जबकि एमडीआर के 336 व एक्सडीआर टीबी के 56 मरीज मिले थे। वहीं वर्ष 2019 मार्च में 1967 टीबी के मरीज मिल चुके हैं। जिला क्षयरोग कार्यालय के मुताबिक, लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद व कानपुर के बाद प्रयागराज में सबसे अधिक टीबी के मरीज हैं। लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से पुनरीक्षित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम भी चलाया जाता है।
फेफड़े की टीबी सबसे अधिक
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में टीबी पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. तारिक महमूद कहते हैं कि टीबी की बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। इसमें फेफड़े की टीबी सबसे अधिक करीब तीन चौथाई मात्रा में होती है। मरीज के बलगम की जांच करवाने पर फेफड़ों की टीबी का पता लग सकता है।