Allahabad University : पिछले सात माह से हो रही स्थायी कुलपति की तलाश, कार्यवाहक के भरोसे है विश्वविद्यालय
वर्ष 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद माना जा रहा था कि पूरब का ऑक्सफोर्ड यानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय नए मुकाम को छुएगा पर ऐसा नहीं हुआ।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तो मिल चुका है लेकिन यहां पिछले सात माह से स्थायी कुलपति की तलाश जारी है। जी हां, पिछले सात महीनों में इविवि को एक अदद स्थायी कुलपति तक नहीं मिल पा रहा है। कार्यवाहक कुलपति के सहारे व्यवस्था चल रही है। इस कारण इविवि की आर्थिक, शैक्षणिक व्यवस्था सवालों में है। कई ऐसे जरूरी काम हैं, जिसके लिए स्थायी कुलपति चाहिए पर वीसी का मसला अधर में है। इसे न तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) तय कर पा रहा है न ही कुलपति के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी।
सुर्खियों में रहे प्रोफेसर हांगलू ने कुलपति पद से दिया था इस्तीफा
वर्ष 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद माना जा रहा था कि पूरब का ऑक्सफोर्ड यानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय नए मुकाम को छुएगा पर ऐसा नहीं हुआ। अलबत्ता विवाद जरूर गहरा गया है। नियुक्ति के बाद से ही सुर्खियों में रहे प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने 31 दिसंबर 2019 को इविवि के कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था। एक जनवरी 2020 को प्रो. केएस मिश्र ने बतौर कार्यवाहक कुलपति इविवि की कमान संभाली। उनके रिटायर होने के बाद मंत्रालय ने किसी वरिष्ठ प्रोफेसर को यह जिम्मा सौंपने का आदेश दिया।
नाटकीय ढंग से प्रो. साहू एक दिन के बने थे कार्यवाहक कुलपति
नाटकीय ढंग से 14 जनवरी की देर शाम प्रो. पीके साहू को एक दिन का कार्यवाहक कुलपति बनाया गया। 15 जनवरी को प्रो. साहू के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रो. आरआर तिवारी को कुर्सी का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद मंत्रालय ने विज्ञापन जारी कर स्थायी कुलपति के लिए आवेदन मांगे। नियत तिथि 21 फरवरी तक देशभर से 125 शिक्षाविदों ने आवेदन किया। इनमें नौ आवेदन इविवि से जुड़े शिक्षकों के हैं।
विवादों का सिलसिल थमने का नाम ही नहीं ले रहा
छह मार्च को कार्य परिषद की बैठक में सदस्यों ने चयन समिति के लिए सर्वसम्मति से प्रो. सीएल खेत्रपाल और प्रो. गौतम सेन के नाम पर मुहर लगाई। इसके बाद शुरू हो गया विवादों का सिलसिला, जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस वजह से स्थायी कुलपति की चयन प्रक्रिया लटकी है। इसलिए तमाम नीतिगत निर्णय लंबित पड़े हैं। दरअसल मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में साफ किया गया है कि कार्यवाहक कुलपति केवल रूटीन कार्य करें।
नंबर गेम
31 दिसंबर 2019 को वीसी प्रो. रतन लाल हांगलू ने दिया था इस्तीफा
01 जनवरी 2020 को प्रो. केएस मिश्र बने कार्यवाहक कुलपति
14 जनवरी को प्रो. पीके साहू एक दिन के लिए कार्यवाहक कुलपति बने
15 जनवरी को प्रो. आरआर तिवारी ने संभाली कार्यवाहक वीसी की कुर्सी।
एक माह बाद वाणिज्य विभाग को मिला अध्यक्ष
तकरीबन एक महीने इंतजार के बाद गुरुवार को इविवि के वाणिज्य विभाग को नया अध्यक्ष मिल गया। विभाग के प्रो. अरुण कुमार को कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी के निर्देश पर रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने अध्यक्ष नियुक्त किया है। प्रो. अरुण का कार्यकाल दो वर्ष के लिए होगा। गौरतलब है कि पूर्व अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार सिंघल ने कोरोना के डर से इस्तीफा दे दिया था। अभी उनका एक साल का कार्यकाल बाकी था। 60 वर्षीय प्रोफेसर सिंघल ने बताया था कि वह अस्थमा के मरीज हैं। विभाग में मॉस्क लगाकर काम करने में सांस फूलने की समस्या होती थी। इसके अलावा विभागाध्यक्ष के कमरे में फिजिकल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो पाता था। हालांकि चर्चा इस बात की भी थी कि विभाग में संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट-2019) में कुछ छात्रों के दाखिले के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।