हुनर को बढ़ावा दे रहे इस परिवार के लोग, बनाते हैं मुफ्त ताजिया Prayagraj News
वह भले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं लेकिन हर साल मुहर्रम के अवसर पर करीब पांच हजार रुपये की लागत से ताजिया बनाते हैं। साथ ही ताजियादारों को इसे निश्शुल्क दे देते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। ताजिया बनाना वसीम का पुश्तैनी पेशा है। इनके पूर्वज भी बड़े उत्साह से ताजिया बनाते थे। अब वसीम व उनका परिवार इसे तैयार करने में उत्साह से जुटा था। परिवार के लोग मुहर्रम के 10 दिन पहले से ताजिया बनाने की तैयारी में जुट गए थे। इसे अंतिम रूप दे दिया गया है। वसीम इसके बदले में मेहनताना व लागत भी नहीं लेते हैं और ताजिया बनाकर ताजियादारों को देते हैं। मोहर्रम नजदीक आने के साथ ही उनके पास कुछ दिनों से फुर्सत ही नहीं थी।
चांद दिखने के साथ ही रानीगंज का यह परिवार ताजिया बनाने में जुट गया था
प्रतापगढ़ में रानीगंज तहसील क्षेत्र के मिर्जापुर चौहारी गांव निवासी अब्दुल के पुत्र वसीम अपने हुनर को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके पूर्वज भी निश्शुल्क ताजिया बनाते थे और ताजियादारों को सौंपते थे। 31 अगस्त को चांद दिखा तो अब्दुल ने उसी दिन से ताजिया बनाने की शुरुआत कर दी थी। अब्दुल के साथ उनकी पत्नी, बेटा, बेटी भी इस काम में साथ दे रहे हैैं। वह ताजिया मिर्जा शहीद बाबा के नाम से बनाते हैं। पहले ढांचा तैयार किया फिर उसमें पेपर व चमकीली पन्नी लगाने के साथ गुंबद बनाया। ताजिया बनने के बाद नौवीं मुहर्रम यानी आज चौक पर रखेंगे। उसके बाद मोहर्रम की 10 तारीख की शाम को मोहर्रम के दिन कर्बला में दफन किया जाएगा।
बोले वसीम, ऐसा करने से सुकून और अल्लाह से बरकत मिलती है
ताजिया बनाने में करीब पांच हजार रुपये का खर्च आता है, लेकिन वसीम इसे नहीं लेते हैं। वह मेहनत-मजदूरी और लागत को स्वयं खर्च करते हैं। वसीम का कहना है कि इस कार्य से सुकून मिलता है। अल्लाह से बरकत मिलती है।