राम और लक्ष्मण को देख गदगद हो गए जनकपुर के लोग
श्रीराम रामलीला समित भडे़वरा के कलाकारों की ओर से खेली जा रही रामलीला के मंचन में दर्शकों की खूब भीड़ जमा हो रही है। दर्शक रामलीला के कलाकारों का अभिनय देख मंत्रमुग्ध हो गए।
करछना : श्रीराम रामलीला समित भडे़वरा के कलाकारों की ओर से खेली जा रही रामलीला के मंचन में दर्शकों की खूब भीड़ जमा हो रही है। दर्शक रामलीला के कलाकारों का अभिनय देख मंत्रमुग्ध हो गए।
बुधवार को खेली गई जनक बाजार व फुलवारी नामक रामलीला बड़ी रोमाचक रही। मंचन के दौरान सजा जनक बाजार व पुष्प वाटिका लोगों को आकíषत करती रही। जनक बाजार में मुनि विश्वामित्र के सहित राम व लक्ष्मण जब जनकपुर में पहुंचे तो दोनों भाइयों को देख कर जनक वासी गदगद हो गए। इसकी जानकारी महाराजा जनक को जनकपुर के लोगों की ओर से दी गई। महाराजा जनक ने आदर पूर्वक ले आने के लिए आदेशित किया। जनकपुर में मुनि विश्वामित्र के साथ जब राम व लक्ष्मण पहुंचते हैं तो राजा जनक उनका आदर सत्कार करते हुए कहा कि आज वह अपने को धन्य मान रहे हैं। अब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। साथ ही साथ मुनि विश्वामित्र का आशीर्वाद भी प्राप्त किया। वहीं दोनों भाइयों ने जनक बाजार सहित फुलवारी का भ्रमण कर खूब लुत्फ उठाया। रामलीला समिति के अध्यक्ष लल्लूराम तिवारी, डायरेक्टर राम मनोहर लोहिया तथा संयोजक व व्यवस्थापक प्रभाकात मिश्र ने रामलीला मंचन के कलाकारों सहित दर्शकों के प्रति आभार जताया। इस मौके पर व्यास रविंद्र नाथ, राल्ही देव प्रभाकर मिश्र, राम वल्लभ मिश्र, श्याम प्रभाकर, सुशील कुमार ओझा, छोटकऊ पाडेय, मुन्नन ओझा, दीपक तिवारी, पंकज तिवारी, पंकज गोलू, सोनू, धर्मेंद्र कुमार शर्मा, उज्ज्वल, रमेश कुमार शर्मा आदि लोग मौजूद रहे। पूत कपूत या सपूत, स्वयं कर सकते हैं पहचान
कल्याणपुर : इसकी पहचान लोग स्वयं कर सकते हैं कि पूत कपूत है या फिर सपूत। यह बात पथरिया मे आयोजित मानस प्रवचन के चौथे दिन धरणीधर महाराज ने कहीं। बताया कि जो व्यक्ति माता पिता का सम्मान बनाए रखें जैसे श्रीराम, वह सपूत और जो सम्मान खराब कर दे वह कपूत है।
सुनील शास्त्री महाराज ने मनु सतरूपा की कथा में भजन गाया कि 'बूटी हरि के नाम की सब को पिला के पी, कानो में मधुर मुरली की धुन को बजा के पी।' तीसरे वक्ता अनुरागी महाराज ने भी प्रवचन में रसपान कराया। संचालन उमाकांत पांडेय ने किया। आशीष पांडेय ने आरती की। प्रेम नारायण पांडेय, राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, जीतलाल मिश्र, किशोरी लाल मिश्र, हरिनाथ सुमन, अरविद नारायण उपाध्याय आदि मौजूद रहे।