'गीता अम्मा' की रसोई है ये, यहां पकता है असहाय लोगों का खाना Prayagraj News
संगम नगरी में कुल 10 स्थाई रैन बसेरे चल रहे हैं। इनमें लगभग 450 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। इन्हीं में एक है नूरुल्लाह रोड का रैन बसेरा।
प्रयागराज, [रमेश यादव]। आज के दौर में जहां तमाम लोग बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करने से कतराते हैं। यहां तक कि उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं, वहीं नूरुल्लाह रोड स्थित रैन बसेरे की केयर टेकर गीता गुप्ता इन असहायों के बीच अपने सेवा भाव से 'गीता अम्माÓ बन गई हैैं। इस रैन बसेरे में रहने वालों की चिंता उनका परिवार घर के सदस्यों के जैसा करता है। वह उन्हें चाय-नाश्ता देने के साथ किचेन का वही खाना खिलाती हैैं, जो खुद उनका परिवार भी खाता है। यहां रहने वाले कहते हैैं कि गीता अम्मा की रसोई है तो लगता है कि घर में हैैं।
असहायों के लिए सुकून भरा हे नूरुल्लाह रोड का रैन बसेरा
संगम नगरी में कुल 10 स्थाई रैन बसेरे चल रहे हैं। इनमें लगभग 450 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। इन्हीं में एक है नूरुल्लाह रोड का रैन बसेरा। यहां असहाय और दिहाड़ी मजदूरों के लिए गर्म पानी से नहाने तक की व्यवस्था है। यहां साफ-सफाई के साथ खाने-पहनने की अच्छी सुविधा का ही नतीजा है कि 40 बेड की क्षमता वाले इस रैन बसेरे में हमेशा 30 से ज्यादा लोग रहते हैं। इसमें गीता के साथ ही उनके पति कृष्ण कुमार भी केयर टेकर हैैं। इनका कमरा रैन बसेरे में ही अलग है। माता-पिता को गरीब असहाय लोगों की सेवा करते हुए देख उनका बेटा हर्षित भी स्कूल से आने के बाद सभी की मदद करता है।
संस्था उठाती है लोगों के खान-पान का खर्च
रैन बसेरा चलाने वाली संस्थाओं की जवाबदेही है कि वह उसमें रहने वालों को खाना बनाने के लिए बर्तन, गैस-चूल्हा उपलब्ध कराए। मगर नूरुल्लाह रोड का रैन बसेरा चलाने वाली श्रावस्ती की संस्था वल्र्ड वेलफेयर सोसाइटी अपनी ओर से लोगों को खाना खिलाती है। संचालक वीरेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि गीता और उनके पति ने असहाय लोगों को खाना खिलाने की इच्छा जाहिर की तो उन्हें मना नहीं किया। इसके लिए 10 से 12 हजार रुपये खाने पर खर्च होते हैं। गीता और उनके पति एक साल से नूरुल्लाह रोड स्थित रैन बसेरे को चला रहे हैं। वह दो साल लखनऊ में भी केयर टेकर की भूमिका में थे।
मुझे गरीबों की सेवा कर संतुष्टि मिलती है : गीता
रैन बसेसे की केयर टेकर गीता गुप्ता कहती हैं कि मुझे गरीबों की सेवा करके संतुष्टि मिलती है। रैन बसेरे में कई असहाय लोग खुद से खाना खा भी नहीं पाते हैं। मैं उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाती हूं। मेरा बेटा भी इसमें लगा रहता है। ऐसे में मैं और मेरे पति निश्चिंत हैं कि बुढ़ापे में हमने भटकना नहीं होगा।
नगर आयुक्त ने रैन बसेरा के केयर टेकर के कार्यों को सराहा
नगर आयुक्त रवि रंजन कहते हैं कि गीता गुप्ता लोगों का बहुत ख्याल रखती हैं। उनकी मेहनत से ही लोगों को खाना मिलता है। अगर सभी संस्थाएं ऐसे ही काम करने लगें तो गरीब असहायों को भटकने की जरूरत नहीं है। उनके अच्छे काम के लिए वह शासन को भी पत्र लिखेंगे।