Move to Jagran APP

जज्बा और कुछ कर गुजरने की जिद ने बदली दी जिंदगी

दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में अक्सर युवतियां और महिलाएं पेट्रोल पंप पर सेल्स गर्ल के रूप में कार्य करती दिखती हैं। हालांकि, अब इलाहाबाद भी इसमें पीछे नहीं रहा। सिविल लाइंस स्थित पेट्रोल पंप पर दो युवतियां जज्बे और लगन की जिद ठानकर काम कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 12:00 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 12:00 PM (IST)
जज्बा और कुछ कर गुजरने की जिद ने बदली दी जिंदगी
जज्बा और कुछ कर गुजरने की जिद ने बदली दी जिंदगी

रमेश यादव, इलाहाबाद : कहते हैं कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। हर काम बेहतर है, बशर्ते लगन हो। ऐसा कोई काम नहीं है, जो कोई दूसरा न कर सके। बस जज्बा और सच्ची लगन होनी चाहिए। जिद होनी चाहिए, नए रास्ते की। समाज को नई दिशा दिखाने और कुछ बन कर दिखाने की। ऐसे ही जिद ने सरिता त्यागी और पूर्णिमा की जिंदगी बदल दी। दोनों युवतियां पिछले तीन साल से पेट्रोल पंप पर सेल्स ग‌र्ल्स का दायित्व निभा रही हैं और तमाम युवतियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं। पिछले तीन साल में दोनों ने कई उतार-चढ़ाव देखे, पर हौसला नहीं टूटा।

loksabha election banner

दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में अक्सर युवतियां और महिलाएं पेट्रोल पंप पर सेल्स ग‌र्ल्स के रूप में दिखती हैं, लेकिन हाल के वर्षो में इलाहाबाद भी अपवाद नहीं रहा। युवतियां और महिलाएं पेट्रोल पंप पर बतौर सेल्स ग‌र्ल्स जिंदगी की जंग आसान बना रही हैं यह संदेश देते हुए कि हर काम आसान है, बस ठान लीजिए। सिविल लाइंस स्थित पेट्रोल पंप पर सुलेमसराय के ताड़बाग की सरिता और राजापुर की पूर्णिमा पिछले तीन साल से सेल्स ग‌र्ल्स की भूमिका में हैं। सरिता और पूर्णिमा बताती हैं कि तीन साल पहले जब उन्होंने पेट्रोल पंप पर काम शुरू किया था, तब कभी कभी असहज महसूस करती थीं। गाहे बगाहे लोगों के ताने चुभते थे। हालांकि कई लोगों ने उनके इस हौसले को सलाम भी किया। शुभकामनाएं दीं। इससे राह आसान होती चली गई। कंधों पर आया परिवार का जिम्मा

बकौल सरिता पिता राम मनोहर त्यागी और मां ललिता देवी के निधन के बाद दो भाई और दो बहनों का जिम्मा उनके कंधों पर आ गया। बीए करने के बाद तीन साल पहले जब पेट्रोल पंप पर सेल्स ग‌र्ल्स का काम शुरू किया तो पिता गोदरेज की अलमारी बनाते थे। घर का खर्च वही चलाते थे। अब सब कुछ उन्हीं को देखना पड़ रहा है। सरिता कहती हैं कि मां-बाप के देहावसान के बाद वह एकबारगी टूट सी गई थीं, लेकिन पेट्रोल पंप काम करने से यह दुख वहन करने में काफी सहायता मिली। कभी परिवार चलाने में दिक्कत नहीं हुई। कुछ हटकर करने का था जुनून

पूर्णिमा घर में सबसे छोटी हैं। सबकी दुलारी। फिर भी हमेशा कुछ हटकर करने का जुनून था। इसलिए तीन साल पहले जब सरिता ने उनसे पेट्रोल पंप पर सेल्स ग‌र्ल्स के रूप में काम करने के लिए पूछा तो उन्होंने तत्काल हामी भर दी। पूर्णिमा यूं तो हाईस्कूल उत्तीर्ण हैं, लेकिन सेल्स के सभी गुण को जल्द सीख लिया। पूर्णिमा बताती हैं कि पिता सब्जी की दुकान लगाते हैं। मां गृहिणी है। उन्होंने मुझे कभी भी कोई काम करने से नहीं रोका। हमेशा मेरी हौसला अफजाई की। रोपड़ में दिखे मंजर ने बदली सोच

सरल फ्यूल मार्ट के मैनेजर प्रकाश बताते हैं कि 10 साल पहले किसी काम से वह पंजाब के रोपड़ गए थे। उन्होंने वहां पर देखा था कि पेट्रोल पंप पर सभी कर्मचारी महिलाएं थीं। सेल्स ग‌र्ल्स, एकाउंटेंट व अन्य। उनके मन में यह बात घर कर गई थी। तीन साल पहले एचपीसीएल के एरिया मैनेजर विनय सिंह ने उन्हें सेल्स ग‌र्ल्स रखने का सुझाव दिया तो प्रकाश ने इसे कर दिखाया। प्रकाश बताते हैं कि सरिता, पूर्णिमा, मेघना और अंकिता ने इस पेट्रोल पंप पर काम किया। एमबीए कर चुकीं कई लड़कियां भी पेट्रोल पंप पर सेल्स ग‌र्ल्स का काम करने के लिए अपना आवेदन लेकर आई। जगह खाली न होने पर उन्हें मना करना पड़ा। पेट्रोल पंप के मालिक संजय सचदेवा बताते हैं कि सेल्स ग‌र्ल्स की ड्यूटी दिन में रहती है। उनके लिए अलग मशीन दी गई है। अलग स्टाफ रूम और वॉश रूम है ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। सरिता और पूर्णिमा इस पंप पर हुई व्यवस्था से संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि आधी आबादी हौसला नहीं हारे तो आसमान उसका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.