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Kumbh mela 2019 : टूट गईं रूढिय़ां और धर्मक्षेत्र में लिख दिया नया अध्याय

कुंभ मेला 2019 में कई नया अध्‍याय लिखा गया। जहां 21 आदिवासी समुदाय के लोगों को अखाड़े ने संन्यास ग्रहण कराया, वहीं अनुसूचित जाति के लोग नागा संन्‍यासी बने।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 08:38 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 11:05 AM (IST)
Kumbh mela 2019 : टूट गईं रूढिय़ां और धर्मक्षेत्र में लिख दिया नया अध्याय
Kumbh mela 2019 : टूट गईं रूढिय़ां और धर्मक्षेत्र में लिख दिया नया अध्याय

शरद द्विवेदी, कुंभनगर : यह कुंभ कुछ खास है। इस बार इसमें सब कुछ समा गया। कई नए अध्याय लिखे गए, कई रूढ़ीवादी परंपराएं टूटीं। सामाजिक समरसता का संदेश कुंभ की लहरों के साथ समूचे देश तक फैला। अब तक सनातनी परंपरा से समाज के जो रंग छूट रहे थे, उन्हें भी एकाकार किया गया। बात किन्नरों को सम्मान देने की हो या उपेक्षित वर्ग को सम्मान देकर उन्हें पूज्य के ङ्क्षसहासन पर बिठाने की। संत समाज ने दिल और बड़ा किया, संगम नगरी से नई कहानी लिख दी। इस प्रयास का अंजाम यह रहा कि धर्म की पहुंच उन वर्गों तक हुई जो खुद को इससे अलग मानते थे। सनातन धर्म को छोड़कर वह बौद्ध, इसाई और मुस्लिम धर्म अपना रहे थे। प्रयाग में ऐसे लोगों ने सनातन धर्म का ध्वज उठाने का संकल्प लिया।

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अनुसूचित जाति के 60 लोग बने नागा संन्यासी

कुंभ में अनुसूचित जाति के 60 लोग नागा संन्यासी बने। जूना में 37 एवं आवाहन अखाड़ा में अनुसूचित जाति के 23 लोगों ने नागा संन्यास की दीक्षा लेकर भजन-पूजन में लीन हो गए। वहीं आदिवासी समुदाय के जूना अखाड़ा में 13, निरंजनी अखाड़ा में चार, आवाहन अखाड़ा में तीन और महानिर्वाणी अखाड़ा में एक व्यक्ति ने संन्यास लिया। यह वो वर्ग हैं जो सनातन धर्म से दूर होते जा रहे थे। धर्मांतरण इसी वर्ग के लोगों का हो रहा था। इसे भांपकर अखाड़ों ने उन्हें सम्मान देकर साथ चलने को प्रेरित किया है।

दिया विश्व स्तर पर सार्थक संदेश

जूना अखाड़ा में अनुसूचित जाति के महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि ने बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम बन चुके 15 व्यक्तियों को संन्यास दिलाया। कन्हैया कहते हैं कि यह संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेगी। इसके लिए वह आदिवासी, ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में प्रवचन-पूजन करके लोगों को जोडऩे की मुहिम चला रहे हैं। वहीं जूना अखाड़ा ने किन्नर संन्यासियों को अपने साथ मिलाकर शाही स्नान कराकर विश्वस्तर पर सार्थक संदेश दिया।

किन्नर समाज को भी मिला सम्मान

किन्नर समाज सदियों से उपेक्षित है, धर्म के क्षेत्र में आने के बावजूद उनकी उपेक्षा हो रही थी। हालांकि जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि की पहल से किन्नर संन्यासियों ने बिना किसी विघ्न के प्रयाग कुंभ में तीनों शाही स्नान किए।

आरंभ हुई 1993 से रुकी पंचकोसी परिक्रमा

प्रयाग की धाॢमक, पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को संजोने वाली पंचकोसी परिक्रमा 1993 से रुकी थी। अधिकतर लोग परिक्रमा के महत्व को भूल चुके थे। कुंभ के दौरान परिक्रमा फिर से शुरू हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की पहल पर तीन दिवसीय परिक्रमा में द्वादश माधव व प्रयाग के प्रमुख देवी-देवताओं की परिक्रमा हुई। अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने परिक्रमा शुरू करने की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। इसके बाद पंचकोसी परिक्रमा से जुड़े मंदिरों का कायाकल्प करने के बाद परिक्रमा शुरू कराई गई। फिर अखाड़ों, पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने मिलकर परिक्रमा करके श्रद्धाभाव से पूजन किया।

छोटी परिक्रमा भी शुरू कराई जाएगी : महंत हरि गिरि

महंत हरि गिरि कहते हैं कि वृंदावन, मथुरा, काशी व अयोध्या की तर्ज पर प्रयाग में जल्द छोटी परिक्रमा शुरू कराई जाएगी। इसमें प्रयाग के प्रमुख धाॢमक स्थल शामिल होंगे, हर व्यक्ति प्रतिदिन आसानी से कर सकेगा।


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