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Allahabad University की सर्च कमेटी में प्रो. खेत्रपाल को शामिल करने पर बखेड़ा Prayagraj News

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दबाव पर सर्च कमेटी के गठन के लिए आपात बैठक बुलाई गई थी। बैठक में 20 सदस्य पहुंचे। इनमें से नौ आवेदक होने के चलते चले गए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 11:03 AM (IST)
Allahabad University की सर्च कमेटी में प्रो. खेत्रपाल को शामिल करने पर बखेड़ा Prayagraj News
Allahabad University की सर्च कमेटी में प्रो. खेत्रपाल को शामिल करने पर बखेड़ा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी के सदस्य प्रोफेसर सीएल खेत्रपाल के नाम पर बखेड़ा खड़ा हो गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर राम सेवक दुबे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वह मामले की शिकायत इविवि के विजिटर यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करेंगे। इसके अलावा उनके चयन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती भी देंगे।

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सर्च कमेटी के गठन के लिए आपात बैठक में 20 सदस्य पहुंचे

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के दबाव पर सर्च कमेटी के गठन के लिए आपात बैठक बुलाई गई थी। बैठक में 20 सदस्य पहुंचे। इनमें से नौ आवेदक होने के चलते चले गए। बचे 10 सदस्यों को दो नामों का चयन करना था। सबसे पहले कार्य परिषद के एक सदस्य ने नेशनल सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस एनालिसिस पुणे के पूर्व निदेशक प्रोफेसर गौतम सेन के नाम का प्रस्ताव रखा। इस पर सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी।

कार्य परिषद के कई सदस्यों ने विरोध किया

इसके बाद एक सदस्य ने वर्ष 1998 से 2001 तक इविवि के कुलपति रह चुके प्रो. सीएल खेत्रपाल के नाम का प्रस्ताव रखा। इस पर कार्य परिषद के कई सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया। प्रो. खेत्रपाल के नाम पर घंटों बहस हुई। विरोध करने वाले सदस्यों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेगुलेशन-2018 का उल्लंघन बताया। रेगुलेशन में स्पष्ट कहा गया है कि सर्च कमेटी में शामिल किए जाने वाले सदस्य का किसी भी रूप में इविवि से जुड़ाव नहीं होना चाहिए। इस पर यह तय किया गया कि मतदान कराया जाए। इसमें से प्रो. खेत्रपाल को छह और विपक्ष को चार वोट मिले तो उनके नाम पर मुहर लगाया गया। आटा अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे ने भी प्रोफेसर खेत्रपाल को कमेटी में शामिल किए जाने का विरोध किया है।

बैठक की अध्यक्षता पर भी रार

सर्च कमेटी के लिए बुलाई गई कार्य परिषद की आपात बैठक को लेकर भी रार छिड़ गई है। कई शिक्षकों का कहना है कि वाणिज्य संकाय के डीन प्रोफेसर असीम मुखर्जी ने किस आधार पर अध्यक्षता की। इस संदर्भ में इविवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. शैलेंद्र मिश्र का कहना था कि वरिष्ठ डीन होने के चलते प्रो. मुखर्जी को यह जिम्मा सौंपा गया। सवाल यह उठ रहा है कि जब इविवि की ओर से वरिष्ठता सूची ही नहीं जारी की गई तो यह कैसे तय कर लिया गया कि प्रो. मुखर्जी ही वरिष्ठ डीन हैं।

पूर्व में भी हो चुका है विवाद

स्थायी कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी के गठन को लेकर यह विवाद कोई नया नहीं है। इसके पूर्व वर्ष 1994 से 1997 तक कुलपति रहे प्रो. सुरेश चंद्र श्रीवास्तव की नियुक्ति के लिए गठित कमेटी में मोहन सिंह को सदस्य नामित किया गया था। मोहन इविवि के छात्र थे। ऐसे में रसायन विज्ञान विभाग के एक शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। इस पर कोर्ट ने प्रो. श्रीवास्तव का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें पद से हटा दिया।


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