जांच तक ही सीमित होती है 'परधानजी' के खिलाफ कार्रवाई
ग्राम प्रधानों पर गांवों में विकास कार्यों में घपला करने का मामला सामने आता रहा है। अधिकांश मामलों में उनपर कार्रवाई नहीं होती बस जांच तक मामला सिमट जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। गांवों में विकास कार्यों में घपला कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई प्रधानों के खिलाफ बड़ी-बड़ी जांच हो चुकी है मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। ज्यादातर मामलों की फाइलें दबा दी जाती हैं। कई मामलों में तो शिकायत करने वाले और प्रधान के बीच अधिकारी ही सुलह करा देते हैं। चार वर्षों में एक भी प्रधान घपले में जेल नहीं जा सका है जबकि भ्रष्टाचार की कई धारा ऐसी हैं जिनमें आरोपित को जेल भेजा जा सकता है।
209 प्रधानों के खिलाफ शिकायतें आईं और उनकी जांच भी कराई गई
वर्ष 2015 में ग्राम पंचायत का चुनाव हुआ था। इन चार वर्षों में जिले की 1637 ग्राम पंचायतों में लगभग 320 करोड़ रुपये का बजट विकास कार्यों के लिए आया। इन चार वर्षों के दौरान 209 प्रधानों के खिलाफ शिकायतें आईं और उनकी जांच भी कराई गई। ये शिकायतें ब्लॉक स्तर से लेकर एसडीएम, सीडीओ, डीएम और शासन स्तर तक हुईं हैं। काफी शिकायतें तहसील दिवसों में भी हुई थीं। जांच भी जिला स्तरीय अधिकारियों से कराई गई। हालांकि ज्यादातर शिकायतों की रिपोर्ट में प्रधानी के चुनाव की पेशबंदी बताकर जांच की फाइल ही बंद कर दी गईं।
खास बातें
209 प्रधानों के खिलाफ चार साल में हो चुकी है जांच, कार्रवाई नहीं
147 प्रधानों के खिलाफ फिर आईं शिकायतें, कराई जा रही है जांच
1637 ग्राम पंचायतें हैं जिले में, इन्हीं गांवों में चुने जाते हैं प्रधान
320 करोड़ रुपये ग्राम पंचायतों में चार वर्षों में आ चुका है बजट
अधिकारियों ने समझौता कराकर शिकायत को रफा-दफा करा दिया
कई मामलों में तो राजनैतिक दबाव के चलते जांच अधिकारी ने फाइल दबा दी। यही नहीं कुछ ऐसे भी मामले आए, जिनमें खुद अधिकारियों ने समझौता कराकर शिकायत को रफा-दफा करा दिया। अब फिर 147 प्रधानों के खिलाफ जांच शुरू कराई गई है। इन प्रधानों के खिलाफ सड़क, नाली, हैंडपंप मरम्मत, तालाबों की खोदाई, शौचालय, आवास व अन्य निर्माण कार्यों में धांधली की शिकायत हुई है।
बोले डीपीआरओ, जांच को टीम गठित की गई है
डीपीआरओ अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि इन प्रधानों के खिलाफ जांच के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों की 20 टीमें गठित की गई हैं। जांच करने वाले अफसरों को निष्पक्षता के साथ तफ्तीश करने को कहा गया है। रिपोर्ट आने पर अवश्य कार्रवाई कराई जाएगी।
इन ब्लॉकों में ज्यादा शिकायतें
कौडि़हार, होलागढ़, बहादुरपुर, प्रतापपुर, सैदाबाद, उरुवा, करछना, जसरा, कौंधियारा, मेजा, कोरांव, शंकरगढ़ ब्लॉकों के गांवों में ज्यादा शिकायतें हैं। अन्य ब्लॉकों के गांवों में से भी शिकायतें आईं हैं मगर वहां संख्या कम हैं।
वोट न देने वाले मजरों में काम नहीं
यमुनापार के 16 गांवों में प्रधानों के खिलाफ ऐसी भी शिकायतें आईं हैं कि उन्हें जिस मजरे से मत नहीं मिले थे अथवा कम मत मिले थे, वहां विकास कार्य नहीं कराए गए हैं। डीपीआरओ ने बताया कि अब इन मजरों को चिन्हित कर वहां तेजी से विकास कार्य कराए जाएंगे।
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