दारागंज की रामलीला : एक बार देखेंगे तो बार-बार आने का करेगा मन Prayagraj News
दारागंज की रामलीला का मंचन अन्य स्थानों की रामलीला की अपेक्षा कुछ अलग होता है। यही कारण है कि एक बार यहां रामलीला देखने आने वाला बार-बार आता है।
प्रयागराज, जेएनएन। श्री दारागंज प्रयाग की रामलीला अन्य स्थानों पर होने वाली लीला की अपेक्षा अनूठी है। क्योंकि लीला की सभी प्रक्रियाओं के लिए समूचे दारागंज को ही मंच माना जाता है। नागवासुकि मंदिर में अयोध्यापुरी के भव्य साम्राज्य का और मोरी दारागंज में जनकपुरी का सेट बनाया जाता है। वहीं अन्य लीला का मंचन अलोपीबाग स्थित मैदान में होता है। ऐसा करने से रामलीला का वास्तविक नजारे का आनंद लिया जा सकता है। यह परंपरा एक सदी से भी अधिक पुरानी है।
रामलीला का ज्ञात इतिहास 1913-14 के आसपास से मिलता है
दारागंज कमेटी के अनुसार इस क्षेत्र में रामलीला का ज्ञात इतिहास 1913-14 के आसपास से मिलता है। मंचन अनोखा इसलिए होता है क्योंकि इसमें कलाकार एक स्थान पर नहीं बल्कि पूरे दारागंज के इलाके में रामलीला का मंचन करते हैं। जहां अयोध्यापुरी बनाया जाता है, वह गंगा किनारे नागवासुकि मंदिर है। वहीं गंगा किनारे ही जनकपुरी को मोरी में बनाया जाता है।
जनकपुरी से अयोध्यापुरी जाने वाली राम बरात को घर-घर दिया जाता है न्योता
जिस प्रकार एक सदी पहले राम बारात जनकपुरी से अयोध्यापुरी जाती थी और इसके लिए घर-घर न्योता दिया जाता था, वही परंपरा अब भी कायम है। राम बारात के बाद आगे की सभी लीला का मंचन एक मंच पर होता है। यह मंचन शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन शुरू होता है। रामलीला का इतना बड़ा क्षेत्र कहीं और देखने को नहीं मिलता।
इस वर्ष का आकर्षण
रामलीला को पहले की अपेक्षा अधिक आकर्षक बनाने के लिए हनुमान दल में पारंपरिक बैंड पार्टी की संख्या को बढ़ाया जा रहा है। कलात्मक चौकियां तो रहेंगी, उसमें सामाजिक गतिविधियों के विविध रंगों को भी समाहित किया जाएगा। पांच दिनी मां काली के प्रदर्शन के लिए प्रत्येक दिन अलग-अलग तरह के श्रृंगार होंगे। रामलीला का क्षेत्र समूचा दारागंज होता है इसलिए इस बार रोशनी के इंतजाम भी अधिक किए जा रहे हैं। रामलीला मंचन के दौरान इस बार लोगों को प्लास्टिक और पालीथिन का इस्तेमाल बंद करने का संदेश भी दिया जाएगा।
चुनौती भरी है राम की भूमिका : सर्वेश
राम की भूमिका अदा करने वाले सर्वेश कुमार शुक्ल कहते हैं कि मुझे बचपन से ही अभिनय करने का शौक था। चार साल पहले लक्ष्मण का किरदार निभाया था और तीन साल से राम की भूमिका में हूं। आम तौर पर नाटक या अन्य मंच पर प्रतिभा का प्रदर्शन करना आसान है लेकिन रामलीला का मंच वह भी राम की भूमिका में काफी चुनौती भरा होता है। क्योंकि उस समय सैकड़ों लोग आपको मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ही समझ रहे होते हैं। हालांकि कई दिनों का पूर्वाभ्यास इस किरदार को सफलतापूर्वक निभाने में काफी सहायक होता है। फिर भी प्रयास पूरा रहता है कि संवाद बोलते समय लिप मूवमेंट में किसी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए।
दर्शकों का भरोसा जीतना ध्येय : अंकित
लक्ष्मण की भूमिका में नजर आने वाले अंकित द्विवेदी ने कहा कि वैदिक संस्कृत विद्यालय से शास्त्री हूं। सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से पांच साल से नुक्कड़ नाटक के मंचन से भी जुड़ाव है। दर्शकों का भरोसा जीतना ही ध्येय है।