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Allahabad University के पुरा छात्र के सुझाव पर इसरो ने चंद्रयान-3 में किया बदलाव, पीएमओ को भेजा था सुझाव

बकौल डॉक्टर प्रमोद मिश्र चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण और प्रक्षेपित यान की विभिन्न कमियों का जिक्र करते हुए चंद्रयान-2 में अपेक्षित सुधार करने के संबंध में मैंने 2019 में इसरो और पीएमओ को एक पत्र लिखा था। हालांकि उस समय चंद्रयान-2 में अपेक्षित और आवश्यक सुधार नहीं किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 11:19 AM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 05:01 PM (IST)
Allahabad University के पुरा छात्र के सुझाव पर इसरो ने चंद्रयान-3 में किया बदलाव, पीएमओ को भेजा था सुझाव
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र डॉक्‍टर प्रमोद मिश्र।

प्रयागराज, जेएनएन। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के पूरा छात्र डॉक्टर प्रमोद मिश्र के सुझाव को शामिल किया है। डॉ. प्रमोद ने बताया कि उन्होंने आठ सितंबर 2019 को इसरो और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर चंद्रयान-2 के विफलता के मुख्य कारणों पर अपना विचार रखा था। डा. मिश्र के सुझाव को चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।  

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यह था डॉ. प्रमोद का सुझाव, जिसे मिली मंजूरी

बकौल डॉक्टर प्रमोद मिश्र चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण और प्रक्षेपित यान की विभिन्न कमियों जैसे-चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की अति चुंबकीयता, प्रति-चुंबकीयता आदि के अनुसार यान की उचित डिजाइन का न होना तथा इस विशेष तथ्य को ध्यान में रखकर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण न करना आदि) का जिक्र करते हुए चंद्रयान-2 में अपेक्षित सुधार करने के संबंध में मैंने 2019 में इसरो और पीएमओ को एक पत्र लिखा था। हालांकि, उस समय चंद्रयान-2 में अपेक्षित और आवश्यक सुधार नहीं किया गया। इसका अंतिम परिणाम चंद्रयान-2 की विफलता के रूप में सारे देश ने देखा। एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद 21 दिसंबर 2020 को अंतरिक्ष विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस) भारत सरकार की अवर सचिव पदमा ज्योति एस ने मुझे पत्र लिखकर सूचित किया कि, आपके द्वारा सुझाए गये सुझाव बिंदुओं को इसरो और अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों की कमेटी के समक्ष रखा गया। अापके द्वारा सुझाए गये सुझाव बिंदुओं को मंजूरी देकर चंद्रयान-3 में अपेक्षित सुधार कर लिया गया है।

पहले मान लेते बात तो बच जाते 950 करोड़ रुपये

डॉक्टर प्रमोद ने बताया कि अंतरिक्ष विभाग ने उनसे यह भी कहा कि सुझाव के अलावा अन्य सुधारात्मक कदम उठाये गये हैं एवं संबंधित अथॉरिटी (अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार और इसरो ) ने आपके सुझाव बिंदुओं को अप्रूव कर दिया है। वह कहते हैं अगर मेरे द्वारा सुझाए बिंदुओं को 2019 में ही मान लिया गया होता (जिसे अब माना गया है) तो शायद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण विफल न होता और देश का 950 करोड़ रुपये से अधिक बर्बाद न होता।

प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं प्रमोद

डॉक्टर प्रमोद मिश्र मूलरूप से प्रयागराज से सटे प्रतापगढ़ जनपद के पट्टी तहसील के गहबरा गांव के महावीर प्रसाद मिश्र के बेटे हैं। इन्होंने वर्ष 2016 में इविवि के हिंदी विभाग से प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में डिफिल की उपाधि हासिल की। इस वक्त वह कुंडा में एमएएस पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।


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