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Kumbh mela 2019 : राजनीति लटका रही अयोध्या मंदिर मामला : नृत्यगोपालदास

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा क‍ि अयोध्या मंदिर मामले को राजनीति लटका रही है। वह कुंभ की व्‍यवस्‍था से संतुष्‍ट हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 05:58 PM (IST)
Kumbh mela 2019 : राजनीति लटका रही अयोध्या मंदिर मामला : नृत्यगोपालदास
Kumbh mela 2019 : राजनीति लटका रही अयोध्या मंदिर मामला : नृत्यगोपालदास

कुंभ नगर : श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर बने, यह कौन नहीं चाहता? हिंदू के साथ भारत के मुसलमान भी चाहते हैं कि अयोध्या में जल्द राम का मंदिर बन जाए। उन्हें पता है कि वहां बाबर का कुछ नहीं था लेकिन राजनीति के चलते और साजिश के तहत मामला लटकाया जा रहा है। इसका शीघ्र निस्तारण होना जरूरी है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास कहते हैं कि राम मंदिर का मामला ज्यादा लटका तो हिंदुओं का धैर्य जवाब दे जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के कुछ शहरों का नाम बदलने का उन्होंने समर्थन किया। साथ ही अद्र्धकुंभ को कुंभ नाम देने के निर्णय को उचित बताया।

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महंत नृत्यगोपाल दास ने अस्वस्थ होने के बावजूद देश व धर्म से जुड़े अनेक मुद्दों पर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता शरद द्विवेदी से खुलकर बात की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश...

कुंभ की व्यवस्था से आप संतुष्ट हैं?

 बहुत संतुष्ट हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निष्ठा व समर्पण दिख रहा है कुंभ मेला में। अपेक्षा से काफी बेहतर काम किया गया है। न भूतो न भविष्यति जैसा किया गया है। हर संत व श्रद्धालु सरकार के काम से खुश है।

यह तो अर्धकुंभ है, सरकार ने कुंभ नाम दे दिया, आप इसे उचित मानते हैं?

मुख्यमंत्री का विचार बहुत सुंदर है। कुंभ का निर्णय संत व धर्माचर्यों पर निर्भर होता है। सबने कुंभ के लिए अपना आशीर्वाद दिया है। सबकी सहमति पर मुख्यमंत्री योगी ने अद्र्धकुंभ को कुंभ का नाम दिया है। उन्होंने पूर्ण कुंभ से अच्छी सुविधा प्रदान की है। यह सरकार का अच्छा प्रयास है।

कुंभ से क्या संदेश मिलेगा समाज को?

प्रयाग कुंभ से दुनिया को सुख, समृद्धि, त्याग व समर्पण का संदेश मिलेगा। संत समाज यहां जप-तक के जरिए समाज को नई दिशा देने को प्रयत्नशील हैं। आप देखना, कुंभ के समापन होते-होते सार्थक संदेश पूरे विश्व में जाएगा, जिससे पूरी मानवता लाभान्वित होगी।

मुख्यमंत्री ने कई जिलों के नाम बदले, आगे किस शहर का नाम बदलने की अपेक्षा है आपको सरकार से?

मुगलों ने हमारी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, आस्था और विश्वास को खत्म करने के अनेक कुचक्र रचे थे। मठ-मंदिरों को तोड़ा, धर्मांतरण कराने के साथ शहरों का नाम भी बदला था। धर्मशास्त्रों में प्रयाग का जिक्र है इलाहाबाद का नहीं। इसी प्रकार अयोध्यानगरी ही विश्वविख्यात है। अब मौका है कि सरकार मुगलों की सारी पहचान को खत्म करे। इलाहाबाद व फैजाबाद का नाम बदलकर उसकी शुरुआत हो चुकी है। अभी बहुत से शहरों के नाम मुगलों की पहचान पर आधारित है, जिसे बदलना होगा। हमें उम्मीद है कि सरकार शास्त्र व धर्माचार्यों की मंशा के अनुरूप उस दिशा में उचित कदम उठाएगी।

2019 का लोकसभा चुनाव करीब है। इसी बीच अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग तेज हो गई। मंदिर को लेकर विश्व हिंदू परिषद व शिव सेना द्वारा आयोजित सम्मेलन का हिस्सा आप भी रहे हैं। आप अभी तक क्यों शांत थे?

चेहरे पर गंभीरता का भाव लाते हुए, देखिए...राम मंदिर का मामला चुनावी नहीं है। यह आस्था से जुड़ा मामला है। संतों का चुनाव व सत्ता से कोई वास्ता नहीं है। सभी चाहते हैं कि जहां रामलला विराजमान हैं वहां मंदिर जल्द बने। सभी मंदिर के प्रति अपना समर्थन, आस्था व निष्ठा व्यक्त कर रहे हैं। मैं भी यही चाहता हूं कि मंदिर जल्द बने। राम मंदिर की जहां बात होगी मैं वहां जाऊंगा। मंदिर को लेकर मैं कभी शांत नहीं रहा। हर मौके पर प्रमुख मंचों पर आवाज उठाता रहा हूं।

कुछ संत संसद में मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं, आप भी यही चाहते हैं?

हमें मंदिर चाहिए। अध्यादेश का क्या करेंगे? अध्यादेश आए या न आए उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार मंदिर निर्माण की दिशा में उचित निर्णय ले। उसके लिए अध्यादेश लाकर कानून बनाए या सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तेज कराए। हमें उससे मतलब नही है। सब चाहते हैं कि मोदी-योगी के राज में राम मंदिर का निर्माण हो। सरकार को जनता की मंशा के अनुरूप काम करना चाहिए। जनभावना के विपरीत जाने से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा। इससे समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

विहिप के बाद आरएसएस भी जल्द राम मंदिर निर्माण की मांग उठा रहा है। इससे सरकार पर दबाव बनेगा?

आरएसएस की मांग जायज है। वह ङ्क्षहदू भावनाओं के अनुरूप मंदिर निर्माण की मांग कर रहा है, जिसका मैं समर्थन करता हूं। सरकार सबकी भावनाओं का सम्मान करते हुए काम करेगी, ऐसा विश्वास है। अब विलंब हुआ तो स्थिति बिगड़ेगी।

अगर मंदिर न बनी तो क्या करेंगे?

थोड़ा नाराज होते हुए, क्यों नहीं बनेगी? आपसे किसने कह दिया कि मंदिर नहीं बन पाएगी। ङ्क्षहदू समाज मंदिर बनाने में समर्थ है। मंदिर हर हाल में बनेगी। वह भी जहां रामलला विराजमान हैं वहीं बनेगी, दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। मंदिर बनने का समय करीब है, सिर्फ कुछ समय इंतजार करिए सारी स्थिति साफ हो जाएगी।

आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा है कि कुंभ से मिलेगी राम मंदिर निर्माण को दिशा। आप भी ऐसा ही मानते हैं?

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के मामले पर प्रयाग से दिशा मिलती रही है। राम मंदिर आंदोलन का शंखनाद यहीं से हुआ है। अब मंदिर निर्माण का समय करीब है, उसके पहले संतों की धर्मसभा होगी। वहां से निश्चित राम मंदिर निर्माण को लेकर दिशा मिलेगी, कुछ दिन प्रतीक्षा करिए, उचित समाचार मिलेगा आपको।

अनेक मुद्दों पर संतों में मतभिन्नता नजर आती है। आप इसे उचित मानते हैं?

मतभिन्नता होना कोई खराब बात नहीं है। दिक्कत मन भिन्नता में होती है। मतभिन्नता होने पर आपसी चर्चा से नए विचार आते हैं, जिससे आपसी सामंजस्य बैठाकर सार्थक पहल होती है। जबकि मन भिन्न होने पर सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। यह धर्म व समाज के लिए उचित नहीं है।


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