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नाव हादसा : नहीं मिली सुविधा तो छात्रों ने चंदा कर भेजवाया शव

अस्थि विसर्जन के दौरान नाव डूबने के बाद रमाकांत उर्फ रमेश दिगंबर राव वैश का शव भी मिल गया। कोई सुविधा नहीं मिली तो शुआट्स के छात्रों ने चंदा लगा शव भेजवाया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 06:32 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 06:32 PM (IST)
नाव हादसा : नहीं मिली सुविधा तो छात्रों ने चंदा कर भेजवाया शव
नाव हादसा : नहीं मिली सुविधा तो छात्रों ने चंदा कर भेजवाया शव

प्रयागराज : बात कुछ इस तरह है। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के नयागांव थाना क्षेत्र के रहनार कोलंबी गांव से 14 लोग कौशबाई दिगंबर रामराव की अस्थियां लेकर दस दिसंबर को प्रयागराज आए थे। कुंभ मेला क्षेत्र के निकट यहां नाव हादसे में सात की मौत हो गई, जबकि छह को बचा लिया गया था। एक अन्य रमाकांत उर्फ रमेश दिगंबर राव वैश का कुछ पता नहीं चल रहा था।

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 घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समुचित इलाज व मदद के निर्देश अफसरों को दिए थे। घटना के 24 घंटों में मिले शवों को महाराष्ट्र सरकार की ओर से आए हेलीकॉप्टर से भेजा गया। इधर, शुक्रवार को रमेश का शव मिलने पर ले जाने के लिए घर का कोई नहीं था। कुंभ की तैयारी में व्यस्त अफसर भी गंभीर नहीं हुए तो छात्रों ने चंदा कर शव भेजवाया।

लगातार हो रही थी खोज

नाव हादसे में डूबे रमेश की खोज लगातार की जा रही थी। जल पुलिस ने रमाकांत उर्फ रमेश दिगंबर राव वैश का शव खोज निकाला। जानकारी मिलते ही सैम हिग्गिनबॉटम युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) में पढऩे वाले नांदेड़ के करीबी छात्रों ने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर शिनाख्त की। इसके बाद शव भेजवाने को लेकर समस्या खड़ी हुई।

छात्रों ने लगाया आरोप

छात्र भूषण रेंगे व सोमेश्वर का आरोप है कि उन्होंने प्रशासनिक अफसरों व मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भी बात की लेकिन कुछ नहीं हुआ। हार कर चंदा लगाकर शव भेजवाने का इंतजाम किया। 10 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से प्राइवेट एंबुलेंस बुक की और शुआट्स के ही छात्रों से चंदा वसूलकर भुगतान किया। शव रखने के लिए पांच हजार रुपये में ताबूत भी बनवाया। प्रयागराज से नांदेड़ की दूरी करीब ढाई हजार किलोमीटर है। 

कहते हैं इंस्‍पेक्‍टर

इंस्पेक्टर कीडगंज राजकुमार शर्मा का कहना है कि सभी लापता लोगों को खोज निकाला गया है। मामले में आरोपित नाविक जगदीश निषाद अभी फरार है।

हमारे पास दो शव वाहन तैयार थे, लेकिन प्रदेश से बाहर भेजने के लिए सुरक्षा और प्रशासनिक अनुमति की जरूरत होती है।

डॉ. जीएस बाजपेई

अगर महाराष्ट्र शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं दी जा सकी तो सीएमओ की कोई मजबूरी रही होगी। इस बारे में वही बता सकते हैं।

एमपी सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व


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