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प्रतापगढ़ में रोडवेज बस स्टेशन पर रैन बसेरा नहीं है, सर्दी के मौसम में यात्री हो रहे बेहाल

प्रतापगढ़ बस स्टेशन पर अब तक रैन बसेरा नहीं बन सका है। हर साल नगर पालिका द्वारा इसका इंतजाम किया जाता है। टेंट का रैन बसेरा बिस्तरयुक्त बनाया जाता है। अब तक इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया है जबकि ठंड का मौसम असर दिखाने लगा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 04:32 PM (IST)
प्रतापगढ़ में रोडवेज बस स्टेशन पर रैन बसेरा नहीं है, सर्दी के मौसम में यात्री हो रहे बेहाल
प्रतापगढ़ में रोडवेज बस अड्डे पर ठंड में यात्रियों को परेशानी हो रही है।

प्रयागराज, जेएनएन। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। सुबह और रात में ठंड का अधिक असर है। ऐसे में बाहर निकलना मुश्किल भरा हो रहा है। ऐसी ही मुश्किलें उन लोगों को हो रही है, जो रेलवे व बस स्टेशन या फिर अस्पतालों में जाते हैं। उनको रात में ठंड से कांपते देखा जाता है। ऐसे पीडि़त लोगों का दर्द अफसरों तक पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण ने प्रतापगढ़ में समाचारीय अभियान शुरू किया है। इसमें पहले दिन शहर के रोडवेज बस स्टेशन का हाल दिया जा रहा है। आज भी जानें लोगों को क्‍या परेशानी झेलनी पड़ रही है।

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बस स्टेशन पर अब तक रैन बसेरा नहीं बन सका है। हर साल नगर पालिका द्वारा इसका इंतजाम किया जाता है। टेंट का रैन बसेरा बिस्तरयुक्त बनाया जाता है। अब तक इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया है, जबकि ठंड का मौसम असर दिखाने लगा है। लंबी दूरी की बसों के रात में देर से आने या दूसरी बस पकडऩे के लिए आने वाले महिला पुरुष यात्री ठंड से बेहाल होते नजर आते हैं।

परिवहन निगम का यात्री प्रतीक्षालय तो बना है, पर उसमें कुछ बेंच ही हैं। ठंडी हवाओं से बचने को कोई साधन नहीं है। इस डिपो से 80 बसों का संचालन होता है। रात में गोरखपुर, जौनपुर, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत जिलों से बसें आती हैं। भोर में चार बजे से ही बसों का जाना शुरू हो जाता है। इस बीच रात बिताना यात्रियों के लिए कष्टकारी हो रहा है। एआरएम रोडवेज पीके कटियार का कहना है कि सर्दी के दिनों के लिए अस्थाई रैन बसेरा नगर पालिका बनवाती है। उसे पत्र लिखा जाएगा।

रोडवेज बस स्टेशन पर ठिठुरते यात्रियों की मदद कई बार वहां के मंदिर के पुजारी अशोक कुमार तिवारी करते हैं। उन्होंने अपनी एक ऊनी शाल इसीलिए निकाल रखी है, जो यात्रियों के काम आ रही है। इसमें एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। वह बस स्टेशन के गार्ड के पास रख देते हैं जो यात्री उपयोग के लिए पाते हैं व बाद में वापस कर देते हैं। सवाल यह है कि ऐसी व्यवस्था भला कितनी कारगर होगी। इससे काम चलने वाला नहीं है। रोडवेज व नगर पालिका के अफसरों को संवेदनशील होना पड़ेगा।


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