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न बनते अवैध मकान, न चलाने पड़ते अभियान

इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (एडीए) हाल के दिनो मे कुछ भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध प्लाटिंग को तहस-नहस कराया।

By Edited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 09:57 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jan 2018 02:12 PM (IST)
न बनते अवैध मकान, न चलाने पड़ते अभियान
न बनते अवैध मकान, न चलाने पड़ते अभियान

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद: इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (एडीए) हाल के दिनो मे कुछ भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध प्लाटिंग को तहस-नहस कराया। फिर भी न अवैध निर्माण और न ही अवैध प्लाटिंग पर प्रभावी अंकुश लग पा रही है। फाफामऊ समेत कई क्षेत्रो मे अवैध निर्माण और प्लाटिंग धड़ल्ले से जारी है। यहां सवाल ये उठ रहा है कि अगर अवैध मकान पहले से ही न बनने पाते तो प्राधिकरण को ध्वस्तीकरण अभियान चलाने की नौबत नही आती।

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शहरी क्षेत्रो मे अवैध निर्माण और अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए एडीए मे पूरा अमला है। इसे रोकने की प्रारंभिक जिम्मेदारी सुपरवाइजरो और भवन निरीक्षको की है। अगर इनके स्तर से बात नही बनती है तो अवर अभियंताओ और सहायक अभियंताओ के द्वारा उसे रोकने के लिए प्रभावी पहल की जानी चाहिए। आखिरी जिम्मेदारी जोनल अफसरो की बनती है। कुछ ही मामलो मे नोटिसे जारी की जाती है अथवा ध्वस्तीकरण आदेश पारित किया जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलो मे कोई न कोई अड़चन आ जाने के कारण कार्रवाई नही हो पाती है। फाफामऊ क्षेत्र मे तो इधर ध्वस्तीकरण अभियान चला भी नही। जबकि शांतिपुरम आवासीय योजना से सटे फाफामऊ गांव, गद्दोपुर, और गोहरी क्षेत्रो मे धड़ल्ले से अवैध निर्माण और अवैध प्लाटिंग जारी है। यही नही गंगा की कछारी क्षेत्रो गंगानगर आदि मे भी अवैध निर्माणो और प्लाटिंग पर कोई नियंत्रण नही लग पा रहा है। ये आलम तब है जबकि अधिकतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) मे किसी तरह के निर्माण पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है।

एक आवास की चाहत अवैध निर्माण को दे रही बढ़ावा: एक तरफ प्राधिकरण अवैध निर्माणो को पूरी तरह से नही रोक पा रहा है। वही, लोगो की एक अदद आवास की चाहत से भी अवैध निर्माणो को बढ़ावा मिल रहा है। शहर के मध्य हिस्से मे जमीन और मकान खरीदना हर व्यक्ति के बूते की बात नही है। ऐसे मे लोग कछारी क्षेत्रो मे मकान बनवाने को बाध्य हो रहे है।

विभाग भी सुविधाएं करा देते है मुहैया : अवैध कालोनियो के बसने के पहले ही बिजली के पोल, पानी की पाइप लाइने, सीवर लाइने आदि बिछ जाती है। मकानो के बनने पर नगर निगम द्वारा मकान नंबर भी जारी कर दिया जाता है।


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