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निर्जला एकादशी : इन वस्तुओं का करेंगे दान तो मिलेगा विशेष फल Prayagraj News

निर्जला या भीमसेनी एकादशी ग्रीष्‍म ऋतु के आगमन का एहसास कराती है। इसमें व्रती को ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करने और दान करने से पुण्‍य लाभ होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 01:12 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 08:17 AM (IST)
निर्जला एकादशी : इन वस्तुओं का करेंगे दान तो मिलेगा विशेष फल Prayagraj News
निर्जला एकादशी : इन वस्तुओं का करेंगे दान तो मिलेगा विशेष फल Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। निर्जला एकादशी आज मनाई जा रही है। इससे आभास होता है कि ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो चुका है। मान्यता है कि ग्रीष्म ऋतु में जरूरतमंदों को उनकी जरूरत की चीजें दान करने से सौ गुना फल मिलता है। प्यासे को जल पिलाना एवं जलपात्र का दान करना पुण्यकारी होता है। इस बार कोरोना वायरस महामारी के समय निर्जला एकादशी होगी। ऐसे में दान किए गए मिट्टी के घड़े या मटके का पानी सेहत के लिए मुफीद होगा। वस्त्र, छाता, पंखे, फल आदि का दान भी शुभकारी माना गया है। 

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व्रती 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, जो मंगलवार को दिन में 9.19 बजे तक है। इसमें व्रती को 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना चाहिए। जिस प्रकार देवताओं में भगवान विष्णु, प्रकाशक तत्वों में सूर्य और नदियों में गंगा की प्रधानता है, उसी प्रकार सभी व्रतों में इस व्रत का स्थान है। 

यह व्रत वर्ष भर की सभी एकादशी का दिलाता है पुण्‍य

ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्‍णेय का कहना है कि वर्ष भर में जितनी एकादशी होती है, उसमें मात्र निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने एवं दान पुण्य करने से सभी एकादशी का पुण्य फल मिल जाता है, इसलिए गर्मी से संबंधित सामग्री का दान किया जाता है। व्रती को जरूरतमंदों को मिट्टी का घड़ा, छाता आदि का दान अवश्य करना चाहिए।  

बोले श्रद्धालु

साल भर में 26 एकादशी पड़ती है। इस निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी 26 एकादशी का फल मिल जाता है।

-आरती, दारागंज

इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों रहते हैं। हालांकि महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं।

-अरुणा चकहा, दारागंज

इस व्रत से गर्मी का आगाज मानते हैं, इसलिए इसमें घड़े, पंखे आदि का दान करते हैं। लोगों को जल और शर्बत पिलाते हैं।

-कृष्णचंद्र केसरवानी, कीडगंज


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