कौशांबी : घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की आवाज बनीं निधि
ससुराल से निकाले जाने के बाद ये महिलाएं न्याय पाने के लिए पुलिस व परिवार परामर्श केंद्र पहुंची तो निधि त्रिपाठी ने इंसाफ दिलाया।
कौशांबी,जेएनएन। आजादी के सात दशक बाद भी महिलाओं पर जुल्म हो रहा है। उन्हें घरों के भीतर ही शारीरिक और मानसिक हिंसा झेलनी पड़ती है। महिलाओं को इस तरह के अत्याचारों से बचाने व इंसाफ दिलाने के लिए मंझनपुर की निधि त्रिपाठी पिछले दो दशक से घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। दहेज व घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं की डाल बनकर उन्हें इंसाफ दिलाया है।
पीडित महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए करती है जागरूक
जिला मुख्यालय मंझनपुर की पाता निवासी निधि त्रिपाठी ने वर्ष 1987 में बीए की पढ़ाई पूरी किया। इसके बाद उनकी शादी राधाकृष्ण त्रिपाठी के साथ हुई। शादी के बाद उनके तीन बच्चे भी हुए। उनका हंसता खेलता परिवार था। वर्ष 1998 में एक सड़क दुघर्टना में उनके पति राधाकृष्ण त्रिपाठी की मौत हो गई है। पति की मौत के कुछ दिन बाद उनके परिवार के सदस्यों परेशान करना शुरू किया तो निधि ने घर की चहारदीवारी से निकलकर वर्ष 2007 में परिवार परामर्श केंद्र की सदस्यता लिया। इसके बाद दहेज व घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए मुहिम छेड़ा। दहेज के लिए पति या ससुराल पक्ष के किसी दूसरे शख्स के उत्पीडऩ से महिला को बचाने के लिए 1986 में आईपीसी में सेक्शन 498-ए (दहेज कानून) की जानकारी देकर उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। परिवार परामर्श केंद्र की सदस्य निधि त्रिपाठी ने बताया कि कोखराज की सरिता देवी, मंझनपुर की वहीदा व नौगीरा की संतोषी आदि घरेलू हिंसा का शिकार हुई है। इनके पति मार पीटकर इन्हें घर से कई वर्ष पूर्व निकाल दिया था। ससुराल से निकाले जाने के बाद ये महिलाएं न्याय पाने के लिए पुलिस व परिवार परामर्श केंद्र पहुंची तो निधि त्रिपाठी ने इंसाफ दिलाया।
महिलाओं को कर रही जागरूक
निधि त्रिपाठी वर्ष 2007 से पड़ोस व क्षेत्र में भ्रमण कर घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीडऩ से निपटने के लिए महिलाओं को पाठ पढ़ा रही है। शादी से पहले (रिश्ता तय होने के बाद), शादी के दौरान या शादी के बाद दहेज की मांग करने वालों पर मामला भी दर्ज कराती हैं। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर बेटियां महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करने के लिए जागरूक करती हैं।