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गंगा और यमुना में जेसीबी से हो रहा बालू खनन, एनजीटी खफा

जिले में 19 घाटों पर लोडर पोकलैंड व जेसीबी से बालू का खनन हो रहा है। ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम ने खनन घाटों का निरीक्षण करने के बाद जिला प्रशासन से मशीन जब्‍त करने को पत्र लिखा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 06:13 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:13 PM (IST)
गंगा और यमुना में जेसीबी से हो रहा बालू खनन, एनजीटी खफा
गंगा और यमुना में जेसीबी से हो रहा बालू खनन, एनजीटी खफा

ज्ञानेंद्र सिंह, प्रयागराज : गंगा और यमुना में प्रतिबंधित मशीनों से खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ी नाराजगी जताई है। इसके लिए डीएम, खनन अफसरों को पत्र भेजा है। पिछले दिनों एनजीटी की टीम ने गंगा और यमुना में खनन का स्थलीय निरीक्षण किया था। इस दौरान गंगा व यमुना के 19 घाटों पर प्रतिबंधित मशीनों से खनन का मामला पकड़ा गया।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल टीम ने खनन घाटों का निरीक्षण किया

काफी दिनों से पट्टाधारकों द्वारा प्रतिबंधित मशीनों से बालू खनन की शिकायतें आ रही थीं। कई शिकायतें लखनऊ और दिल्ली तक की गईं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक भी शिकायतें पहुंची। इस पर ट्रिब्यूनल की टीम ने पिछले दिनों जिला प्रशासन और खनन विभाग को सूचना दिए बिना खनन घाटों का स्थलीय निरीक्षण किया। टीम के सदस्यों ने एक माह में चार बार दौरा किया। इस दौरान यमुना के सात और गंगा के नौ तथा टोंस के नदी के तीन घाटों पर प्रतिबंधित मशीनों पोकलेन, जेसीबी और लोडर से खनन पकड़ा गया।

एनजीटी ने अफसरों से छापेमारी कर मशीनों को जब्त करने को लिखा पत्र

एनजीटी ने अफसरों को भेजे अपने पत्र में कहा है कि पुलिस, प्रशासन व खनन विभाग छापेमारी करे और मशीनों को जब्त करे। दोबारा भी मशीनों का प्रयोग हो तो पट्टाधारकों को नोटिस देकर पट्टा निरस्त कर दिया जाए। जिन खनन घाटों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं वहां लगाए जाएं। चेक पोस्ट का भी पट्टाधारकों ने निर्माण नहीं कराया है, जबकि पिछले साल ही इसके लिए कड़े निर्देश जारी किए गए थे।

पर्यावरण पर पड़ता है प्रतिकूल असर

पर्यावरणविदों के अनुसार नदी की धारा में मशीन लगाकर बालू खनन से धारा परिवर्तित हो जाती है। इससे बाढ़ की आशंका बढ़ जाती हैं। वहीं पर्यावरण पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

मशीनों के विरोध में हुआ था बड़ा आंदोलन

यमुना नदी में मशीनों से खनन के विरोध में बालू श्रमिकों ने बड़ा आंदोलन किया था। यमुना किनारे के लगभग 20 गांवों के पांच हजार श्रमिकों ने एकत्रित होकर मशीनों को तोड़ दिया था और उसमें आग लगा दी थी। कई ट्रकों को भी जला दिया गया था। भारी बवाल होने के बाद कई साल तक मशीनों का खनन में प्रयोग नहीं हुआ था। मगर अब फिर से मशीनों से खनन शुरू करा दिया गया।

खनन के नियम और दंड प्रावधान

-नदी में प्रतिबंधित मशीनों से खनन पर पांच लाख जुर्माना।

-तय क्षेत्र से बाहर खनन हुआ तो 25 हजार रुपये रोज वसूली।

- अवैध खनन-परिवहन रोकने को डीएम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय टीम।

- पट्टाधारकों को सीसीटीवी कैमरा लगाने और चेक पोस्ट बनाने के निर्देश।

- खनन क्षेत्र की सीमा खंभे लगा कर दर्शाना होगा।

- तय क्षेत्र से अलग खनन करने पर दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना।

- पïट्टाधारक के अलावा दूसरे के द्वारा अवैध खनन व परिवहन पर दंड, पïट्टाधारक और उसकी कंपनी ब्लैकलिस्ट होगी।

- पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र खनन की सीमा व मात्रा स्पष्ट दी जाती है।

-तय मात्रा से अधिक खनन दंडात्मक कार्रवाई और 50 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूली।

एडीएम प्रशासन ने कहा, कड़ी कार्रवाई करेगी

एडीएम प्रशासन व नोडल अधिकारी खनन वीएस दुबे का कहना है कि मशीनों से बालू खनन अवैध है। इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही पट्टाधारकों को नोटिस भेजी जाएगी। नहीं मानेंगे तो पïट्टा निरस्त करने की कार्रवाई होगी।

एनजीटी की टीम ने घाटों का किया निरीक्षण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम ने रविवार को यमुना घाटों पर खनन की जांच की। साथ ही यमुना नदी में पानी की गहराई को भी मापा। सबसे पहले लालापुर के सेमरी तरहार घाट पर पहुंचे। वहां से स्टीमर से दूसरे छोर पर भी टीम पहुंची। वहां पर बालू व पट्टाधारक के खनन खंड की जांच की। घाट पर सूखी रेत मजदूरों द्वारा नावों में लादकर लाया जा रहा था। उसके बाद टीम ने यमुना नदी के आसपास के पट्टाधारकों के खनन की भी हकीकत को खंगाला। सेमरी तरहार के अलावा सभी यमुना घाटों पर खनन का कार्य टीम के आने से पहले ही बंद कर दिया था। पता चला है कि जांच के दौरान काफी अनियमितता मिली है। जिसको लेकर कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है। 


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