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प्रयागराज में नहीं बदल रही है तालाबों की सूरत, दिन पर दिन गहराती जा रही है पानी की किल्लत

भूगर्भ जलस्तर लगातर गिर रहा है। कई जगह हैंडपंप ने भी पानी देना बंद कर दिया है। बारिश की हर बूंद सहेजने की तैयारी भी सिर्फ कागजों पर हो रही है। तालाबों को जीवन देने के लिए भी सरकारी विभाग कवायद कर रहे हैं। इन्हें कब्जामुक्त कराया जा रहा है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 03:57 PM (IST)
प्रयागराज में नहीं बदल रही है तालाबों की सूरत, दिन पर दिन गहराती जा रही है पानी की किल्लत
नए वित्तीय वर्ष में साढ़े चार सौ नए तालाब निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। तालाबों के अस्तित्व पर संकट गहराते जा रहे हैं। इसका नकारात्मक असर पर्यावरण पर दिखने भी लगा है। भूगर्भ जलस्तर लगातर गिर रहा है। कई जगह हैंडपंप ने भी पानी देना बंद कर दिया है। ऐसे में बारिश की हर बूंद सहेजने की तैयारी भी सिर्फ कागजों पर ही हो रही है। तालाबों को जीवन देने के लिए भी सरकारी विभाग कवायद कर रहे हैं। इन्हें कब्जामुक्त भी कराया जा रहा है। अस्थाई कब्जा तो हटा दिए गए हैं। लेकिन, पक्के निर्माण हटाने में अभी और वक्त लगेगा। मनरेगा के तहत तालाबों की सूरत संवारी जा रही है। लेकिन, इसकी गति भी बेहद धीमी है। करीब तीन माह पहले तक हुए काम के बाद अभी तक खास तेजी नहीं देखी गई। इस बीच नए वित्तीय वर्ष में साढ़े चार सौ नए तालाब निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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कोरांव ब्लाक में 78 तालाब का चयन

कोरांव के बीडीओ रमाशंकर सिंह ने बताया कि ब्लाक क्षेत्र में 78 तालाब का चयन किया गया है। इनमें नौ तालाबों का काम पूरा हुआ है। इसके अलावा छापर, लेडिय़ारी, हरदौन, कौंदी, बिरछा, बहरैचा व रत्यौरा समेत 12 गांव में हैंडपंप के जल संचयन के लिए सोख्ता गड्ढे बनाए गए हैं। ज्यादातर पंचायत भवनों व सरकारी स्कूल परिसरों में लगे हैंडपंपों के लिए बनाया गया है। मांडा ब्लॉक के मनरेगा प्रभारी महेश कुमार गौड़ ने बताया कि इस बार 37 तालाब चयनित हुए हैं। इनमें 12 पर काम चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में हैंडपंप के जल संरक्षण के लिए 44 सोख्ता गड्ढे बनाए गए और इस बार 36 सोख्ता गड्ढे बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा 21 लोगों ने मछली पालन के लिए तालाब बनवाया।

अप्रैल के आकड़ों पर गौर करें तो उरुवा ब्लॉक में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा काम किया गया। यहां 397 तालाब है। इसके अलावा 22 और तालाब की खोदाई का काम चल रहा है। मऊआइमा सबसे फिसड््डी है। यहां 78 तालाब है पर 46 में ही काम किया जा रहा है। यहां महज दो तालाबों के काम पूरे हो सके हैं। होलागढ़ विकास खंड में 48 तालाबों को जीवित कराया जाना है। इनमें 43 तालाबों को तैयार कर लिया गया है। अब बारिश का इंतजार है। जनपद में यही विकास खंड ऐसा है, जिसमें तालाबा के प्रति सजगता अधिक नजर आ रही है। क्योंकि काम करने की दर 89.58 फीसद रही।

बहादुरपुर में 33 गांव के ज्यादातर तालाब निगम में शामिल

बहादुरपुर ब्लाक क्षेत्र में 540 तालाब राजस्व सूची में शामिल हैं। वर्ष 2008 से अब तक करीब 200 तालाबों के जीर्णोद्धार कराया जा चुका है। बरसात शुरू हो गई है, अब इनमें जल संचयन भी तेजी से होगा। 99 ग्राम सभा में इस बार 33 नगर निगम में शामिल हो गए हैं। अन्य 66 ग्राम सभा ही अब इस ब्लाक में है। इन 33 गांव में ज्यादातर तालाब ऐसे हैं, जो नहर के नजदीक हैं। वहीं, जसरा में 33 में 22 तालाब का काम पूरा कर लिया गया है। 11 तालाबों के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है।

कैच द रेन के तहत तालाब को पुनर्जीवित करने के साथ मेड़बंदी की जा रही है। जिले में 1450 तालाब के लिए आइडी बनी है। इनमें से 204 तालाबों पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा हैंडपंप के जल संरक्षण के लिए प्रत्येक ग्राम सभा में 10-10 गड्ढ़े बनाए जा रहे हैं।

- कपिल कुमार, डीसी मनरेगा


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