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ये हैं प्रयागराज के कारोबारी, इन्‍होंने ब्रांडेड उत्पादों और तकनीक के सहारे कारोबार को दी नई पहचान

प्रयागराज के कासिफ ने दुकान संभालना शुरू किया तो उन्होंने कास्मेटिक्स के परंपरागत सामानों की जगह ब्रांडेड सामानों को तरजीह देना प्रारंभ किया। सभी 14-15 बड़ी कास्मेटिक निर्माता कंपनियों की फ्रेंचाइजी उन्होंने ली और फिर अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए तकनीकी का सहारा लिया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:12 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 01:43 PM (IST)
ये हैं प्रयागराज के कारोबारी, इन्‍होंने ब्रांडेड उत्पादों और तकनीक के सहारे कारोबार को दी नई पहचान
प्रयागराज के व्‍यापारी कासिफ ने कारोबार को ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

प्रयागराज, जेएनएन। इच्छाशक्ति मजबूत और हौसले बुलंद हों तो किसी भी कारोबार में ऊंचाई पर पहुंचना मुश्किल नहीं है। नॉवेल्टी कॉस्मेटिक्स शोरूम के प्रोपराइटर कासिफ अमान के साथ भी कुछ ऐसा ही है। एक दुर्घटना में आंख की रोशनी लगभग गंवा बैठे कासिम ने करीब छह साल पहले अपने पैतृक कारोबार को संभाला तो उन्होंने ब्रांडेड उत्पादों को तरजीह देने के साथ तकनीकी का भी बेहतर इस्तेमाल करना शुरू किया। इसकी वजह से उनके कारोबार को नई पहचान मिली और इसकी धमक शहर के अलावा आसपास के जिलों तक पहुंच गई। आलम यह है कि इनके यहां कास्मेटिक्स का सामान खरीदने के लिए भदोही, फतेहपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों से लोग आते हैं।

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करेली निवासी कासिफ के परदादा हाजी छब्बा मियां ने वर्ष 1910 में चौक स्थित बरामदे के बाहर कास्मेटिक्स की दुकान खोली। उनके बाद दादा हाफिज समीउल्ला और फिर पिता अमानउल्ला ने कारोबार को संभाला। वर्ष 2014 में कासिफ ने दुकान संभालना शुरू किया तो उन्होंने कास्मेटिक्स के परंपरागत सामानों की जगह ब्रांडेड सामानों को तरजीह देना प्रारंभ किया। सभी 14-15 बड़ी कास्मेटिक निर्माता कंपनियों की फ्रेंचाइजी उन्होंने ली और फिर अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए तकनीकी का सहारा लिया। गूगल पर भी दुकान का प्रचार-प्रसार किया। 

कंपनियों के स्टॉफ भी बैठते हैं दुकान पर

कासिफ बताते हैं कि जिन कंपनियों की फ्रेंचाइजी ली है, उन कंपनियों के स्टॉफ भी दुकान पर बैठते हैं। कारोबार में इनकी मदद पिता और छोटा भाई मो. ओसामा भी करते हैं। बताते हैं कि जब वह आठ महीने के थे तभी दुकान के काउंटर से नीचे गिर गए थे और उनके आंख की रोशनी चली गई थी। धीरे-धीरे बड़े होने पर थोड़ी रोशनी वापस आई मगर, लिखने-पढऩे और लोगों को पहचानने में अब भी दिक्कत होती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर राइटर के जरिए लिखापढ़ी करते हैं।

लॉकडाउन के बाद दुकान का कराया जीर्णोद्धार

लॉकडाउन में करीब ढाई-तीन महीने दुकान बंद थी। जून में जब दुकान खुली तो स्टॉफ और ग्राहकों के संक्रमण से बचाव के लिए दुकान का जीर्णोद्धार कराया। इसके बाद सामानों की मुफ्त होम डिलीवरी पर जोर दिया गया। कारोबार को बढ़ाने के लिए रविवार को दुकान खोलने के साथ ग्राहकों के लिए अतिरिक्त छूट भी दी जा रही है। वह बताते हैं कि उनकी दुकान में ओरिजनल और गारंटी के सामान मिलने के कारण आसपास के जिलों के लोग भी खरीदारी करने आते हैं।

सरकारी सुविधा का लाभ नहीं

कासिफ का कहना है कि सरकार ने लॉकडाउन में व्यापारियों और उद्यमियों को रोजगार में हुए नुकसान के लिए लोन देने का प्रावधान किया है ताकि वह अपने रोजगार को फिर से शुरू कर सकें। हालांकि बैंक इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी योजना का लाभ नहीं दे रहे हैं। लोन के लिए आवेदन किया गया, जिससे पुरानी देनदारी खत्म करके रोजगार को गति दी जा सके। हालांकि लोन की स्वीकृति नहीं मिली। जिला उद्योग बंधु की बैठक में इस मसले को उठाने के लिए प्रयास किया जा रहा है, जिससे अफसरों को बैंक की हकीकत पता चल सके।

लॉकडाउन में कर्मचारियों का खर्च देना कठिन था

लॉकडाउन में कर्मचारियों का खर्च देना मुश्किल हो गया था। अब कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है, जिससे दिक्कतें भी दूर होती जा रही हैं। दुकान में 14 स्टाफ हैं, जिन्हें लॉकडाउन में भी भुगतान किया गया। कर्मचारियों को हैंड ग्लब्स, मास्क आदि मुहैया कराया गया है, जिससे किसी तरह के संक्रमण के खतरे से बचा जा सके। दुकान में खरीदारी करने आने वाले ग्राहकों के लिए भी हैंड सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है। ताकि सामानों को छूने से संक्रमण न फैलने पाए।


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