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New education policy : खेल को मुख्य विषय बनाने से खुलेंगे नए आयाम Prayagraj News

New education policy खेल को महत्व देने से विद्यार्थियों का रुझान इस तरफ बढ़ेगा। छात्र-छात्राओं का बहुमुखी विकास होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 05:53 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 05:54 PM (IST)
New education policy : खेल को मुख्य विषय बनाने से खुलेंगे नए आयाम Prayagraj News
New education policy : खेल को मुख्य विषय बनाने से खुलेंगे नए आयाम Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन।  नई शिक्षा नीति घोषित होने के बाद बुद्धिजीवियों में इसे लेकर खासा उत्साह है। हर किसी ने इसकी सराहना की है। लोगों का मानना है कि ठीक ढंग से यदि इसका क्रियान्वयन हो गया तो बेहतर नतीजे मिलेंगे। खिलाडिय़ों में भी इसे लेकर उत्साह है।

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नई नीति में खेल को मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। अब इसे अतिरिक्त गतिविधि नहीं समझा जाएगा। किसी भी हाल में खेल को वैकल्पिक विषय के रूप में भी नहीं देखा जा सकेगा। इसे शिक्षा के रूप में ही स्वीकार करना होगा। इस संबंध में पिछले दिनों भारत सरकार के खेल मंत्री किरण रिजीजू ने भी बयान जारी किया था, इससे संगम नगरी के खिलाडिय़ों में उत्साह जगा है। उन्हेें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में खेल को लेकर बेहतर करियर की संभावनाएं भी बनेंगी। जो खेल और खिलाड़ी के लिए लाभकारी होगा।  क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अनिल तिवारी ने खेल को महत्व देने से विद्यार्थियों का रुझान इस तरफ बढ़ेगा। छात्र-छात्राओं का बहुमुखी विकास होगा। अब बच्चे मैदान में बहुत कम जाते हैं। वे घर में ही टीवी, लैपटॉप, मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं यह प्रवृत्ति बदलनी चाहिए।

खेल में करिअर की संभावनाएं भी बढ़ेंगी

 संगीत, गायन, भाषा के साथ ही खेल को भी अनिवार्य विषय बनाए जाने से विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास संभव होगा। इससे अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे और खेल में करिअर की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

- रंजना सिंह, क्रीड़ा शिक्षक, क्रास्थवेट गर्ल्‍स कॉलेज

स्किल डेवलपमेंट भी होगा

- अब इसे विद्यार्थी और अभिभावक गंभीरता से लेंगे। खेल को विषय के रूप में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की फिटनेस बढ़ेगी, मानसिक तनाव भी कम होगा। उनमें स्किल डेवलपमेंट भी होगा।

- उमा दुबे, क्रीड़ा शिक्षक, जगत तारन गोल्डेन जुबली स्कूल

अब खेल को लेकर दिखेगी गंभीरता

- नई नीति के लागू होने पर खिलाड़ी तो बेहतर निकलेंगे ही इस विषय के बेहतर शिक्षक मिल सकेंगे। इससे अच्छे शोध भी शुरू होंगे। अभी खेल को लेकर कहीं भी गंभीरता नहीं देखने को मिली।

-डॉ. अनूप श्रीवास्तव, क्रीड़ा शिक्षक, सीएवी इंटर कॉलेज


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