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प्रयागराज का सुर्खा अमरूद : अफसरों की लापरवाही जनपद के मशहूर अमरूद उत्पादकों पर पड़ गई है भारी

जनपद में बमरौली बाकराबाद गांव और उसके आसपास सुर्खा एवं सफेदा अमरूद का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। सुर्खा अमरूद की आपूर्ति तो प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे प्रांतों तक होती है। इस बार अमरूद में कीड़े लगने से फसल बर्बाद हो गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 01:44 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 04:02 PM (IST)
प्रयागराज का सुर्खा अमरूद : अफसरों की लापरवाही जनपद के मशहूर अमरूद उत्पादकों पर पड़ गई है भारी
प्रयागराज के प्रसिद्ध सुर्खा अमरूद में कीड़े लगने से इस बार फसल अच्‍छी नहीं हुई।

प्रयागराज, जेएनएन। देश, दुनिया भर में प्रयागराज का सेबिया यानी सुर्खा अमरूद मशहूर है। इसकी खुशबू दूर-दूर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। हालांकि इस बार सुर्खा अमरूद की प्रयागराज में फसल खराब हो गई है। इसके लिए अफसरों को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। समय रहते अगर अफसर अमरूदों में कीड़े लगने को लेकर गंभीर हुए होते तो अमरुद उत्पादकों की जो स्थिति इस बार हुई है, शायद वह नहीं होने पाती।

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जनपद में बमरौली, बाकराबाद गांव और उसके आसपास सुर्खा एवं सफेदा अमरूद का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। सुर्खा अमरूद की आपूर्ति तो प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे प्रांतों और मुंबई के रास्ते विदेश तक होती है। हालांकि, इस बार अमरूद में जोरई नामक कीड़े लग जाने से फसल बर्बाद हो गई है।

डीएम के निर्देश पर अमरूद में कीड़े लगने की जांच करने के लिए अधिकारियों की टीम बकराबाद गांव पहुंची थी। वहां अधिकारियों की टीम को अमरूद उत्पादकों ने हकीकत से रूबरू कराया। उत्पादक मुन्नू पटेल आदि ने अफसरों को बताया कि जब शुरू में ही फसल में कीड़े लगने लगे थे, तभी से इस संदर्भ में जिला उद्यान अधिकारी से लगातार किसान संपर्क करके अपनी समस्या बताते रहे। हालांकि इसके बाद भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसकी वजह से फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। उत्पादकों ने अधिकारियों को अवगत कराया कि फसल बर्बाद होने से तमाम किसानों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।

जांच अधिकारियों की टीम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव, खुसरो बाग के मुख्य तकनीकी सहायक के एम चौधरी, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक आरपी सिंह आदि शामिल थे। उन्‍होंने किसानों की बात गंभीरता से सुनीं।


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