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सीबीआइ छापे से पूर्व सांसद अतीक अहमद के खासमखास पुलिस वालों की नींद उड़ी Prayagraj News

राजनीतिक सफर में पूर्व सांसद अतीक अहमद की गुंडागर्दी में कई सिपाही और दरोगा भी मददगार रहे हैं। जेल में भी मिलने जाते रहे हैं। सीबीआइ छापेमारी के बाद उन्‍हें जांच में फंसने का डर है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 10:15 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 10:15 AM (IST)
सीबीआइ छापे से पूर्व सांसद अतीक अहमद के खासमखास पुलिस वालों की नींद उड़ी Prayagraj News
सीबीआइ छापे से पूर्व सांसद अतीक अहमद के खासमखास पुलिस वालों की नींद उड़ी Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। अहमदाबाद जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद के ठिकानों पर सीबीआइ की ताबड़तोड़ छापेमारी और तलाशी से उनके रिश्तेदारों तथा करीबी पुलिस वालों में भी खलबली मच गई है। उन्हें भी सीबीआइ की जांच के घेरे में आने का डर सता रहा है। करीबी पुलिस वाले इसलिए भी घबराए हैं कि सीबीआइ को अतीक से उनकी नजदीकी के सुबूत मिले तो दिक्कत हो जाएगी।

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राजनीतिक सफर के दौरान कई पुलिसवाले अतीक के बेहद खास बनकर रहे

दरअसल, अतीक के राजनीतिक सफर के दौरान कई पुलिसवाले उनके बेहद खास बनकर रहे। कई सिपाही, दारोगा, इंस्पेक्टर उनके लिए गैरकानूनी काम और मदद करते रहे हैं। सपा शासन के दौरान सरकारी सुरक्षा में अतीक के साथ चलने वाले कई सिपाही उनके प्रापर्टी के धंधे में गुंडों की तरह काम करते रहे हैं। औने-पौने दाम पर प्रापर्टी हड़पने के लिए ये बदनाम सिपाही सादे कपड़ों में राइफल लेकर जमीन मालिक को डराने-धमकाने जाते थे। ऐसी कई घटनाओं में पीडि़तों ने पुलिस वालों का नाम लिया था लेकिन कभी उन पर कार्रवाई नहीं की गई।

कुछ थानाध्यक्ष अतीक के चहेते बने थे, गर्दिश के दिनों में भी कई करीबी रहे

उस दौरान शहर पश्चिम के थानों में कुछ थानाध्यक्ष अतीक के चहेते होते थे। दो-तीन दरोगा तो इतने खासमखास हो गए थे कि उन्हें अतीक का तीसरा, चौथा, पांचवा भाई तक कहा जाता था। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद अतीक के गर्दिश के दिन आने पर भी कई सिपाही, दारोगा करीबी बने रहे। प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर इन्हीं करीबी खाकी वर्दीधारियों की वफादारी की वजह से अतीक के भाई अशरफ को पुलिस की दबिश से पहले फरार होने का मौका मिल गया। अब इन पुलिस वालों में भय है कि सीबीआइ को कॉल रिकार्ड तथा देवरिया में होटलों के रजिस्टर की जांच से उनके बारे में पता चल सकता है। वजह ये कि वे जेल में भी उनसे मिलने जाते रहे हैं।

पर्दे के पीछे वालों में भी खलबली

पुलिसवालों से इतर दो दर्जन से ज्यादा रिश्तेदार और खास लोग उनका कामकाज संभालते रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जो आज तक किसी मुकदमे में फंसे नहीं। वे पर्दे के पीछे रहकर काम देखते हैं, ताकि जब सभी पुलिस के शिकंजे में फंस जाएं तब भी अतीक का काम चलता रहे। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अतीक समेत उनके छह सहायकों के लंबे समय से जेल में बंद होने के बावजूद परिवार को कोई आर्थिक दिक्कत नहीं होती है। सीबीआइ को अतीक के घर से लगभग 10 लाख रुपये नकद मिलने से भी यह जाहिर है। अब पर्दे के पीछे रहने वाले लोग भी सीबीआइ की छापेमारी के बाद घबराए हैं। अतीक के करीबियों से पता चला कि ऐसे कई लोग सीबीआइ के डर से भूमिगत हो गए या फिर दूसरे शहर चले गए हैं।

शहर में चर्चा, घर दफ्तर पर सन्नाटा

अतीक अहमद के चकिया स्थित बंगले, करबला के पास कार्यालय, ससुराल, खुल्दाबाद में जफरुल्ला, बादशाही मंडी में पीए फारूख के ठिकानों पर सीबीआइ की छापेमारी की शहर में चर्चा है। लखनऊ के रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को देवरिया जेल ले जाकर पिटाई के मामले में अतीक समेत आठ लोगों पर मुकदमा लिखने के बाद सीबीआइ ने बुधवार को शहर में छापेमारी के दौरान तलाशी ली थी। चकिया स्थित निवास में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे अली समेत अन्य से पूछताछ की थी। ससुराल में भी तलाशी के बाद उनके साले जकी अहमद को गिरफ्तार कर ले गई। सीबीआइ के 11 घंटे लंबे आपरेशन के बाद से अतीक के निवास पर सन्नाटा है।  अंदर कोई हलचल नहीं है। हालांकि आसपास की दुकानें खुलीं लेकिन लोगों की नजरें उनके के घर की तरफ ही टिकी रही। मीडिया के लोग पहुंचते तो लोग देखने लगते हैं।

कार्यालय में मकड़ी के जाले व धूल

कभी गुलजार और चकाचक रहने वाले अतीक के कार्यालय की कांच की दीवारों और दरवाजों पर धूल और मकड़ी के जाले मिले। फर्श पर भी धूल, कागज के टुकड़े, पानी की खाली बोतलें और अखबार के पन्ने बिखरे मिले। जाहिर है कि वहां लोग आते भले हों, मगर अतीक के जेल और भाई अशरफ के फरार रहने की वजह से कोई कार्यालय पर ध्यान नहीं दे रहा।


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