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शतक पूरा कर चुके दो पेड़ों को एनसीजेडसीसी देगा पहचान Prayagraj News

दावा किया जा रहा है कि यह पेड़ सौ साल पुराना है। वहीं शिल्प मेला मैदान की सीढिय़ों के समीप ही बरगद का एक विशाल पेड़ अब भी लोगों को सूरज की तपिश से शीतल छाया दे रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 06:58 PM (IST)
शतक पूरा कर चुके दो पेड़ों को एनसीजेडसीसी देगा पहचान Prayagraj News
शतक पूरा कर चुके दो पेड़ों को एनसीजेडसीसी देगा पहचान Prayagraj News

 प्रयागराज, जेएनएन: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) परिसर में विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरों के साथ अब दो पेड़ भी अपना इतिहास बताएंगे। इनमें बरगद का पेड़ एक सदी बाद भी हरा-भरा है तो बोगनवेलिया पेड़ फूलों से आज भी रंगत बिखेर रहा है। परिसर में आने वाले कला और प्रकृति प्रेमियों को इन पेड़ों के प्रति आकर्षित करने और इनका इतिहास बताने के लिए एनसीजेडसीसी अगले माह से डिस्प्ले की योजना पर काम करेगा। 

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एनसीजेडसीसी के मुख्य कार्यालय भवन के मुहाने पर बोगनवेलिया का पेड़ सुर्ख गुलाबी फूलों से लदा है। इसका आकार छोटा ही है लेकिन, उम्र बड़ी है। दावा किया जा रहा है कि यह पेड़ सौ साल पुराना है। वहीं, शिल्प मेला मैदान की सीढिय़ों के समीप ही बरगद का एक विशाल पेड़ अब भी लोगों को सूरज की तपिश से शीतल छाया दे रहा है। इस पेड़ के बारे में कहा जा रहा है कि यह करीब सवा सौ साल पुराना है। दरअसल, एनसीजेडसीसी की इस परिसर में स्थापना जनवरी 1986 में हुई थी। उससे पहले यह जमीन रतन कुमार टंडन के परिवार की थी। टंडन परिवार का दावा है कि बरगद के पेड़ को 1892 में सोमेश्वर दास टंडन और तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के डिप्टी कलेक्टर ने लगाया था। हालांकि इस दावे को एनसीजेडसीसी और पुख्ता करने के प्रयास में है।

कलाकृतियों से देंगे पहचान:

निदेशक एनसीजेडसीसी इंद्रजीत ग्रोवर ने बताया कि जुलाई से परिसर में मूर्तिकला का कैंप लगेगा। विभिन्न लोक वाद्य यंत्र की कलाकृतियां बनवाई जाएंगी। उन्हीं में बनने वाली कुछ कलाकृतियों को इन पेड़ों के तने के पास स्थापित किया जाएगा, ताकि लोग उसकी ओर आकर्षित हों। टंडन परिवार से कुछ तथ्य जुटाकर इन दोनों पेड़ को रोपने की तारीख का पता लगाया जाएगा। उसके आधार पर डिस्प्ले बोर्ड बनवाकर पेड़ के समक्ष लगवाएंगे ताकि लोगों को इनका इतिहास मालूम हो सके। 


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