Navratri 2022: शारदीय नवरात्र कल से, पढ़ें घट स्थापना का शुभ मूहूर्त कब है, मां को कैसे करें प्रसन्न
Navratri 2022 ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि नवरात्र की प्रतिप्रदा तिथि रविवार की रात 3.25 बजे लगकर सोमवार की रात 3.22 बजे तक रहेगी। घट स्थापना का ब्राह्म मुहूर्त सोमवार सुबह 5 से 7.38 बजे तक अभिजित मुहूर्त सुबह 11.37 से दोपहर 12.24 तक है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। Navratri 2022 देवी मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र कल सोमवार 26 सितंबर से आरंभ होगी। मइया स्वर्गलोक से गज पर सवार होकर पृथ्वी लोक आएंगी। भक्तों का कल्याण करने को उनके घर विराजमान होंगी। सनातन धर्मावलंबी घरों में घट की स्थापना करके विधि-विधान से पूजन करेंगे। पहले दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन किया जाएगा। वहीं, देवी मंदिरों में अखंड ज्योति जलाकर नौ दिनों तक जनकल्याण के लिए शतचंडी यज्ञ किया जाएगा। मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी सहित हर देवी मंदिर में रविवार को सफाई करने के साथ भक्तों के दर्शन, पूजन का प्रबंध किया गया है।
घट स्थापना के दो मुहूर्त...ब्रह्म और अभिजित मुहूर्त : ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि नवरात्र की प्रतिप्रदा तिथि रविवार की रात 3.25 बजे लगकर सोमवार की रात 3.22 बजे तक रहेगी। सोमवार की सुबह 7.04 बजे हस्त नक्षत्र लगेगा। घट स्थापना का ब्राह्म मुहूर्त सुबह पांच से 7.38 बजे तक है, जबकि अभिजित मुहूर्त सुबह 11.37 से दोपहर 12.24 तक है। वे बताते हैं कि मां के हाथी में बैठकर आने से फसल अच्छी होगी। समाज में सुख-समृद्धि आएगी।
ग्रहों की पीड़ा का करें शमन : पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार साधकों को भगवती की उपासना के साथ नवग्रहों की पूजा कर उनके दोष से मुक्ति मिलती है। पूजन के लिए वेदी बनाकर उस पर श्वेत रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से ही ग्रहों का प्रतीक बनाएं। इसके बाद पान, सुपाड़ी, लौंग, इलायची, सिंदूर अर्पित कर ग्रहों के बीज मंत्रों का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से कष्ट से मुक्ति मिलेगी।
इन मंत्रों का करें जाप
- मंगल के लिए ऊं हूं श्रीं भौमाय नम:।
- राहु के लिए ऊं ऐं ह्नीं राहुवे नम:।
- गुरु के लिए ऊं ह्नीं क्लीं हूं वृहस्पतये नम:।
- शनि के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं शनैश्चराय नम:।
- बुध के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं बुधाय नम:।
- केतु के लिए ऊं ह्नीं ऐं केतवे नम:।
- शुक्र के लिए ऊं ह्नीं श्रीं शुक्राय नम:।
- सूर्य के लिए ऊं ह्नीं ह्नौं सूर्याय नम:।
- चंद्रमा : ऊं ऐं क्लीं सोमाय नम:।
व्रती हैं तो क्रोध न करें : ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि व्रती साधकों को क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए। कन्या, माता-पिता और ब्राह्मणों का सम्मान करते हुए दीन-दुखियों की सेवा करें। मां को अर्पित होने सामग्री का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कामना के अनुरूप अर्पित सामग्री भक्तों की मनोकामना पूरी करने में सहायक होती है।