Author: Ankur TripathiPublish Date: Mon, 24 Jan 2022 10:44 AM (IST)Updated Date: Mon, 24 Jan 2022 10:44 AM (IST)
National Girl Child Day 2022 शहर की बेटियां अलग-अलग क्षेत्र में मुकाम बना रही हैं। मां-पिता का सहारा बन आधी आबादी को रास्ता भी दिखा रही हैं। बेटे भाग्य से और बेटियां सौभाग्य से होती हैं। संघर्ष के शाट से सफलता पर अचूक निशाना साध रही बेटियों ने साबित किया
अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। बेटे भाग्य से और बेटियां सौभाग्य से होती हैं। संघर्ष के 'शाट' से सफलता के क्षितिज पर अचूक 'निशाना' साध रही बेटियों ने साबित भी किया है। आज बालिका दिवस है। शहर की बेटियां अलग-अलग क्षेत्र में मुकाम बना रही हैं। मां-पिता का सहारा बन आधी आबादी को रास्ता भी दिखा रही हैं।
सिक्योरिटी गार्ड की बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर बिखेरी चमक
उन्नाव की रहने वाले रामलाल वर्मा सिक्यूरिटी कार्ड की नौकरी करते हैं और 2016 से यहां रह रहे हैं। उनके बेटी नितिका वर्मा डिस्कस थ्रो में पांच बार नेशनल खेल चुकी है। हाल ही में आईटीबीपी में उन्हें नौकरी भी मिल गई। नितिका ने 2017 में खेलो इंडिया गेम्स में ब्रांज मेडल जीता और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2017 में यूथ गेम्स में सिल्वर, 2018 में फेडरेशन कप में सिल्वर, 2021 में जूनियर नेशनल गेम्स में ब्रांज, अंडर 20 गेम में भी ब्रांज जीता। नितिका का अगला लक्ष्य वर्ल्ड पुलिस गेम में गोल्ड जीतना है।
वाराणसी की रहने वाली आयशा 2016 से प्रयागराज में हैं। पिता विजय बहादुर किसान हैं। उनकी खेल में आने की कहानी गांव की हर बेटी की जिंदगी की तरह है। धान के खेत में नर्सरी को दूर तक फेंक रही आयशा को चाचा संजय ने देखा तो उसे अपने कालेज में हैमर का गेम दिखाया। आयशा ने प्रैक्टिस शुरू की और हैमर फेंकना शुरु किया तो सीधा राष्ट्रीय रिकार्ड बना दिया। उसने जूनियर नेशनल में सिल्वर, स्कूल नेशनल पुणे में सिल्वर, रोहतक में ब्रांज, 2018 में फेडरेशन कप कोयंबटूर में सिल्वर, जूनियर नेशनल रांची में सिल्वर मेडल जीता।
कुलभाष्कर डिग्री कालेज के पास रहने वाली पिंकी रावत के पिता का बचपन में निधन हो गया। मां माया देवी ने ही पिता का भी प्यार दिया। पिंकी ने पार्क में दौड़ते लोगों को देख स्पोटर्स की राह चुनी। उन्होंने 2013 में शॉटपुट में पहला ब्रांज मेडल जीता। नार्थ जोन में गोल्ड के साथ आधा दर्जन गोल्ड जीता। 2019 में लखनऊ में सीनियर नेशनल गेम लखनऊ में ब्रांज गोल्ड जीता। अब पिंकी का संघर्ष नौकरी की तलाश में हैं। घर में पांच बहन और दो भाई हैं। सबके लिए उम्मीद की किरण पिंकी हैं।
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