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Kumbh mela 2019 : आस्‍थावानों को गंगा स्वच्छता का संदेश दे रहे नागा संन्यासी

कुंभ मेला में विभिन्‍न अखाड़ों के नागा संन्‍यासी लोगों को गंगाजल की स्‍वच्‍छता का संदेश भी दे रहे हैं। इसके लिए वह स्‍वयं भी इस पर अमल करते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 12:11 PM (IST)
Kumbh mela 2019 : आस्‍थावानों को गंगा स्वच्छता का संदेश दे रहे नागा संन्यासी
Kumbh mela 2019 : आस्‍थावानों को गंगा स्वच्छता का संदेश दे रहे नागा संन्यासी

कुंभ नगर : सरकार के स्तर पर गंगा की स्वच्छता को लेकर जो हो रहा है या आगे जो होगा, उससे इतर ये अपने स्तर से गंगा की स्वच्छता को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य मां गंगा की स्वच्छता है। तभी तो गंगा में डुबकी लगाने के पहले वे खुद को शुद्ध करते हैं, यानी पहले अखाड़े में स्नान करके खुद को साफ करते हैं, उसके बाद ही गंगा में डुबकी लगाते हैं। ये प्रक्रिया करते है नागा संन्यासी।

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सनातन धर्म हमेशा से स्वच्छता का संदेश देता रहा है

अखाड़ों में आने वाले श्रद्धालुओं को भी नागा संन्यासी ऐसा ही करने का संदेश दे रहे हैं, ताकि पतित पावनी मां गंगा सदा-सदा जीवनदायिनी बनी रहें। स्वच्छता को लेकर भले ही आज के समय में लोग जागरूकता बढ़ाने की बात कर रहे हों लेकिन सनातन धर्म हमेशा से स्वच्छता का संदेश देता रहा है। खासतौर पर मां गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए सनातन धर्म के संत हमेशा से लोगों को जागरूक करते रहे हैं। कुंभ नगरी प्रयागराज में इस बार भी नागा संन्यासी लोगों को ऐसा ही स्वच्छता का संदेश देते हुए दिख रहे हैं।

नागा संन्यासियों का ध्येय कि गंगा जल स्वच्छ तो जीवन स्वस्थ

नागा संन्यासियों का स्पष्ट संदेश है कि मां गंगा जीवनदायिनी है। गंगा जल स्वच्छ तो जीवन स्वस्थ। मकर संक्रांति और उसके बाद सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर संगम पर लाखों की भीड़ के बीच नागा संन्यासी श्रद्धालुओं को पतित पावनी मां गंगा के जल में अपनी गंदगी के स्थान पर पाप धोने का संदेश देते रहे। नागा संन्यासियों का संदेश है, पतित पावनी गंगा हमारी मां हैं, ऐसे में कोई बच्चा अपनी मां के आंचल रूपी जल में गंदगी कैसे धो सकता है। मां का आंचल हमारे पाप को धोकर पुण्य लाभ देता है।

जूना अखाड़ा के स्वामी पंचानंदगिरि कहते हैं

जूना अखाड़ा के स्वामी पंचानंदगिरि महाराज बताते हैं कि कुंभ के दौरान नागा संन्यासियों की परम्परा है कि वह शाही स्नान में शामिल होने के पूर्व रात में ही खुद को शुद्ध करते हैं। संन्यासी सबसे पहले स्नान करते है और पूरे शरीर पर भस्म लगाते है। इसके बाद वह स्नान के लिए निकलते है। आम दिनों में भी नागा संन्यासी गंगा में डुबकी लगाने जाने से पहले यही प्रकिया करतेे हैं। इस बार अपनी पूर्व परम्परा के अनुसार नागा संन्यासियों ने अखाड़े में स्नान करने के बाद ही शाही स्नान में शिरकत की।


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