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Ayodhya Verdict : 'रहीम' भी तराशेंगे राम मंदिर के पत्थर, मूर्तिकार अयोध्या जाने की कर रहे तैयारी Prayagraj News

इसे हिंदी-मुस्लिम आपसी सौहार्द नहीं कहेंगे तो फिर क्‍या कहेंगे। बड़ी संख्या में यमुनापार के पत्थर के मुस्लिम मूर्तिकार भी अयोध्या में राम मंदिर के लिए पत्‍थर तराशने वहां जाएंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 10:01 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 03:17 PM (IST)
Ayodhya Verdict : 'रहीम' भी तराशेंगे राम मंदिर के पत्थर, मूर्तिकार अयोध्या जाने की कर रहे तैयारी Prayagraj News
Ayodhya Verdict : 'रहीम' भी तराशेंगे राम मंदिर के पत्थर, मूर्तिकार अयोध्या जाने की कर रहे तैयारी Prayagraj News

प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। इसे प्रभु राम की महिमा कहें या मन में सौहार्द की उठ रहा हिलोर, कि राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने प्रयागराज से 'रहीम' की फौज भी अयोध्या जाने को विह्वïल है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामजन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया और इधर कोरांव के बड़ोखर निवासी 60 बरस के असलम अली और 55 वर्षीय निजाम अली ने भी एक फैसला कर लिया। वह यह कि मंदिर के लिए पत्थर तराशने अयोध्या जाएंगे। निजाम ने इसके लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अफसरों से वार्ता भी कर ली।

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पत्थर खदानों में काम करने वाले राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अधिकारियों से मिले

असलम और निजाम के साथ यहां के डेढ़ सौ से ज्यादा मुस्लिम अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने के लिए खुद आगे आए हैैं। मेजा और कोरांव के पत्थर खदानों में काम करने वाले ये 'रहीम' सुप्रीम फैसला आने पर राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अधिकारियों से खुद मिले। बोले, उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ कुबूल ही नहीं, बल्कि शिरोधार्य भी है। कहा कि वे भी पत्थर तराशने अयोध्या जाएंगे। पत्थर तराशने में माहिर इन लोगों का समूह है, जिसे आजीविका मिशन से काफी सहायता भी मिली है। ये समूह मूर्तियों के लिए पत्थर तराशने का काम करते हैैं। कई तो पत्थर की मूर्तियां भी बनाते हैैं।

मेजा, कोरांव से पहले भी पत्थर तराशने अयोध्या जा चुके हैं मूर्तिकार

निजाम ने बताया कि यहां से पहले भी लगभग दो दर्जन हिंदू और मुस्लिम मूर्तिकार पत्थर तराशने अयोध्या जा चुके हैैं, जिन्हें एडवांस में भुगतान हुआ था। अब वे फिर अयोध्या जाने को तैयार हैैं। मेजा के कन्हई कोल ने बताया कि लगभग 20 साल पहले वह अयोध्या में पत्थर तराशने गए थे, तब तीन माह के करीब रुककर काम किया था। बताया कि पत्थर खनन का कार्य करने वाले लगभग 800 हिंदू भी अयोध्या में मंदिर के निर्माण में अपना श्रम देना चाहते हैैं। इनमें कुछ लोग यमुनापार के कोरांव, मेजा, शंकरगढ़, बारा के हैैं तो कुछ मध्य प्रदेश के सीधी व रीवा के रहने वाले हैैं, जिनका गांव यूपी-एमपी की सीमा पर स्थित है।


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