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कूड़ा देंगे और पांच रुपये भी, नगर निगम प्रयागराज ने कंपोस्ट प्लांट संचालन के लिए एजेंसी से किया घाटे का सौदा

सूरत की एजेंसी ने तीन टन क्षमता का कंपोस्ट प्लांट लगाया है। इस हिसाब से प्रतिदिन करीब तीन हजार किलो कचरे की जैविक खाद तैयार होगी। तीन हजार किलो कचरा निस्तारण के लिए पांच रुपये की दर से निगम को प्रतिदिन लगभग 15 हजार रुपये भुगतान करना पड़ेगा

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:00 AM (IST)
कूड़ा देंगे और पांच रुपये भी, नगर निगम प्रयागराज ने कंपोस्ट प्लांट संचालन के लिए एजेंसी से किया घाटे का सौदा
कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए निस्तारण, नफा-नुकसान मायने नहीं रखता, बोले निगम के अधिकारी

प्रयागराज,जागरण संवाददाता। घरों से निकलने वाले गीले कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के लिए नगर निगम प्रशासन ने मुंडेरा मंडी परिसर में कंपोस्ट प्लांट लगवाया है। प्लांट में जैविक खाद बनने लगी है लेकिन, इसके लिए निगम ने एजेंसी से घाटे का सौदा किया है। कूड़ेे के प्रोसेसिंग के लिए एजेंसी को पांच रुपये प्रति किलोग्राम कचरा दिया जाएगा। उस कचरे से तैयार होने वाली जैविक खाद को बेचने से निगम को प्रति किलो महज ढाई रुपये मिलेगा। यह वही बात हुई कि कमाई अठन्नी और खर्च रुपैया।

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हर दिन तैयार होगी तीन हजार किलो जैविक खाद

सूरत की एजेंसी मेसर्स बायोफिक्स प्राइवेट लिमिटेड ने तीन टन क्षमता का कंपोस्ट प्लांट लगाया है। इस हिसाब से प्रतिदिन करीब तीन हजार किलो कचरे की जैविक खाद तैयार होगी। तीन हजार किलो कचरे के निस्तारण के लिए पांच रुपये की दर से निगम को एजेंसी को प्रतिदिन लगभग 15 हजार रुपये भुगतान करना पड़ेगा। मगर, उससे तैयार जैविक खाद से ढाई रुपये की दर से निगम को करीब साढ़े सात हजार रुपये हर रोज मिलेगा। महीने भर का आकलन किया जाए तो कूड़े के निस्तारण के लिए तकरीबन साढ़े चार लाख रुपये देना पड़ेगा और मिलेगा कितना लगभग सवा दो लाख। यानी कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण होना चाहिए, नफा-नुकसान मायने नहीं। बता दें कि जैविक खाद को एजेंसी को ढाई रुपये किलो देने का करार हुआ है।

प्राथमिकता है साफ-सुथरा शहर

दो बार के टेंडर में कंपोस्ट प्लांट लगाने के लिए कोई एजेंसी नहीं आई थी। तीसरी दफे में एक एजेंसी शामिल हुई। प्लांट को एजेंसी ने अपने खर्च पर लगाया है। प्लांट चलाने के लिए पांच रुपये में कूड़ा और ढाई रुपये में जैविक खाद देने के लिए एजेंसी से करार करना पड़ा। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देश के अलावा 15 वें वित्त आयोग में भी व्यवस्था की गई है कि कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण होना चाहिए। कूड़ा घर से उठे तो सीधे प्लांट पर पहुंचे। पैसा चाहे जो खर्च हो। इसलिए इस मामले में नफा-नुकसान नहीं देखना है। शहर को साफ-सुधरा रखना प्राथमिकता है।

सतीश कुमार, मुख्य अभियंता


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