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Kumbh mela 2019 : संकल्प लेने वाले राम मंदिर निर्माण की दिशा में करें काम : मोरारी बापू

मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू का कहना है कि ऐसे लोगों को राम मंदिर के निर्माण की दिशा में काम करने की जरूरत है, जिन्‍होंने संकल्‍प लिया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:19 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:19 PM (IST)
Kumbh mela 2019 : संकल्प लेने वाले राम मंदिर निर्माण की दिशा में करें काम : मोरारी बापू
Kumbh mela 2019 : संकल्प लेने वाले राम मंदिर निर्माण की दिशा में करें काम : मोरारी बापू

कुंभ नगर : श्रीराम हर व्यक्ति में विराजमान हैं। दिव्य चक्षु से उसकी अनुभूति की जा सकती है। यह कहना है कि रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू का। अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर उनकी इच्छा है पर कहते हैं कि यह राम की मर्जी के बगैर नहीं बन सकता। हालांकि वह यह भी जोड़ते हैं कि जिन्होंने संकल्प लिया है उन्हें उस दिशा में काम करना चाहिए। धर्म व समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दैनिक जागरण प्रतिनिधि शरद द्विवेदी से खुलकर बात की, प्रस्तुत है प्रमुख अंश...।

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श्रीराम कैसे मिलेंगे? आप त्यागी भी हैं सत्यवादी भी, क्या आपको मिले?

जी हां, मेरी अंतरात्मा अनुभूति करती है। श्रीराम निराकार, निर्गुण और सर्वव्यापक हैं। परमात्मा के दिए दिव्य चक्षु के जरिए राम को पाया जा सकता है। राम को पाना है तो हृदय में प्रेम, त्याग व समर्पण का भाव होना चाहिए। दिव्य चक्षु तब खुलेंगे जब आप छल, कपट, लोभ और मोह से खुद को दूर रखेंगे। इसके लिए इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं है, बस हृदय को पवित्र करना होगा। 

लोकसभा चुनाव करीब हैं, राम मंदिर पर क्या अपेक्षा है सरकार से?

मैं कई सालों से एक ही बात कह रहा हूं कि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर होना चाहिए। यह संकल्प जिन लोगों ने लिया है, वादा किया है, उन्हें यह काम करना चाहिए। वैसे मेरा अपना मानना है कि जब राम की इच्छा होगी तो मंदिर बन जाएगा। राम की मर्जी के बगैर कोई मंदिर बना भी नहीं सकता। 

किन्नरों को जूना अखाड़ा ने साथ लिया है, आपने भी आवाज उठाई थी। क्या कहेंगे?

किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा के साधु-संत स्वीकृति देने लगे हैं तो फिर किस बात का गम। यह सनातन धर्म व समाज के लिए अच्छा प्रयास है। प्रयाग में किन्नर सदियों से स्नान करते रहे हैं ऐसा रामचरित मानस में लिखा है। मैं उन्हें दुआ देता हूं।

संतों की राजनीति में जाने की ललक बढ़ रही है, यह उचित है?

संविधान ने समाज के आम व्यक्ति की तरह साधु-संतों को भी स्वतंत्रता दी है। संत अपनी सोच के अनुरूप हर काम करते हैं। अगर वह राजनीति में जाते हैं तो किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

आरक्षण व इलाहाबाद-फैजाबाद का नाम बदलने पर क्या प्रतिक्रिया है?

आरक्षण के बारे में मुझे ज्यादा ज्ञान नहीं है। इलाहाबाद व फैजाबाद का नाम बदलने का निर्णय बहुत अच्छा है। मैं स्वागत करता हूं इस निर्णय का।

अर्धकुंभ को कुंभ का नाम दिया गया है, आप क्या कहेंगे?

यह महापुरुष साधु-संत व अखाड़ों का मामला है। कुंभ व अद्र्धकुंभ की मान्यता वही देते हैं। मैं तो कथा कहने आता हूं। इसलिए इस पर कुछ नहीं कहूंगा। 

गंगाजल की स्थिति से संतुष्ट हैं?

केंद्र में जब राजीव गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सत्ता में थी तब गंगा की निर्मलता की योजना बनाई गई थी। जितना काम होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। मोदी की सरकार ने एक विभाग खोल दिया। कुछ काम भी दिखा है। गंगा बहती रहनी चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी है वह अविलंब निर्णय लेते रहें। जनता भी योगदान दे।

इस युग में विश्वामित्र की कल्पना करना कितना उचित है?

मैं भारत ही नहीं पूरी पृथ्वी का भविष्य बहुत उज्ज्वल देखता हूं। मैं प्रमाण नहीं दे पाऊंगा, लेकिन मेरी निगाहों में विश्व का बहुत शुभ होने वाला है। उसकी शुरुआत भारत से ही होगी। जल्द ही उसका समय आएगा।


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