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बाढ़ के पानी से घिरे सौ से ज्यादा गांव, सुरक्षित स्थानों पर जा रहे लोग Prayagraj News

गंगा-यमुना नदियों में बाढ़ के पानी से जहां सौ से अधिक गांव घिर गए हैं। वहीं शहर के तटीय इलाकों में स्थित 19 मोहल्लों में तेजी से बाढ़ का पानी पहुंच गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 11:57 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:50 PM (IST)
बाढ़ के पानी से घिरे सौ से ज्यादा गांव, सुरक्षित स्थानों पर जा रहे लोग Prayagraj News
बाढ़ के पानी से घिरे सौ से ज्यादा गांव, सुरक्षित स्थानों पर जा रहे लोग Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा-यमुना के जल स्तर में तेजी से बढ़ोतरी के कारण सौ से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। यही नहीं शहर के भी 19 मोहल्ले इसकी जद में आ गए हैं। निचले इलाकों में बसे लोगों में दहशत है। शहर के कई मोहल्ले के लोग तो सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं। सोमवार की सुबह छह बजे तक फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्‍तर 82.15 पहुंच चुका था। वहीं यमुना का नैनी में जलस्‍तर 82.08 मीटर था। गंगा का पानी फाफामऊ में जहां 5.5 सेमी प्रति घंटे की स्‍पीड से बढ़ रहा है, वहीं यमुना का जलस्‍तर नैनी में 5.25 सेमी प्रति घंटे वृद्धि पर है।

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ये गांव और मोहल्‍ले यमुना के बाढ़ से घिर गए हैं

यमुना के किनारे बसे महेवा, मड़ौका, मड़कैनी, बसवार, पालपुर, लालापुर आदि दो दर्जन गांवों तथा गंगा किनारे बसे लवायन कला, मवैया, छतनाग, धनैचा, नीबी, बजहा, ककरा, कोटवा, दुबावल, दुमदुमा, कबरा, मनैया, रवनिका, डीहा, सेमरहा, रामपुर, लकटहा, बबुरा आदि गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। शहर में गंगा किनारे बसे नेवादा, द्रौपदी घाट, राजापुर, गंगानगर, बेली कछार, मेंहदौरी कछार, चिल्ला, दारागंज, बघाड़ा, सदियापुर, शिवकुटी तथा यमुना किनारे स्थित करैलाबाग, करैली, गौसनगर, बक्शी मोढ़ा आदि मोहल्ले भी बाढ़ के पानी की जद में आ गए हैं।

अहम आंकड़े

81.77 मीटर पहुंच गया था रविवार रात 12 बजे यमुना का जल स्तर

81.85 मीटर पहुंच गया था रविवार रात 12 बजे गंगा का जल स्तर

84.73 मीटर पर है गंगा और यमुना के खतरे का निशान

81.75 मीटर पर पानी पहुंचने पर हनुमान मंदिर में प्रवेश करता है पानी

आधी रात के बाद भी लोग जागते रहे

इन इलाकों में रविवार आधी रात के बाद भी लोग जागते रहे। बाढ़ का पानी कब घरों में घुस जाए, इस डर के कारण लोगों की नींद दूभर हो गई थी। यही नहीं लोग अपने सामान समेटकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कवायद में जुटे थे। लोगों के जेहन में वर्ष 2013 व 2016 के बाढ़ का नजारा अब भी है। बेली कछार के रणकेंद्र कुमार, राजापुर गंगानगर के निवासी आजाद अली का कहना था कि इसी गति से पानी बढ़ता रहा तो जल्द ही उनके घरों में पानी प्रवेश कर जाएगा। करैलाबाग के गौसनगर निवासी हसमत, असलम अली ने बताया कि बाढ़ के पानी से उनके इलाके के लोग दहशत में हैं।

हजारों एकड़ फसलें जलमग्न, भारी क्षति

बाढ़ से सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान हुआ है। गंगापार और यमुनापार में हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई। शनिवार शाम को पानी खेतों से काफी दूर था मगर आधी रात के बाद इतनी तेजी से जलस्तर बढ़ा कि रविवार सुबह तक देखते-देखते ही फसलें डूब गईं।

गंगा और यमुना के साथ ही टोंस का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा

गंगा और यमुना के साथ ही टोंस का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। रविवार देर रात तक तीनों नदियों में जल स्तर बढ़ता रहा। गंगा और यमुना तथा टोंस के किनारे बसे गांवों के कछारों में किसानों ने फसलें लगाईं थीं। यहां परवल के साथ ही दलहनी फसलें भी बोई गई थीं। इसके अलावा बाजरा और तिल की फसलें भी लगाई गईं थीं। ये फसलें काफी बड़ी हो गई थीं। लालापुर के किसान हरदेव पांडेय का कहना है कि उनके क्षेत्र के कछार में बोई गई बाजरे, मूंग व उर्द की सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ के पानी से डूब गईं। सोरांव और फाफामऊ इलाके के भी दर्जनों गांव जो गंगा किनारे हैं, वहां भी कछारी इलाके में बोई गई फसलें जलमग्न हो गईं। किसान रंदावा यादव ने बताया कि बाढ़ के कारण ज्यादातर कछारी फसलें डूब गईं।

यमुनापार में बाढ़ से परवल को काफी नुकसान

यमुनापार में यमुना व गंगा किनारे काफी तादाद में परवल की खेती भी की गई थी, जो पानी में डूब गई। यहां से काफी संख्या में बिहार से आए किसान परवल की खेती करते हैं। किसान रामधीन पटेल ने बताया कि बाढ़ से परवल को काफी नुकसान हुआ है। जिला कृषि अधिकारी डॉ.अश्वनी कुमार सिंह का कहना है कि जो फसलें बर्बाद हुईं हैं उनका आपदा एवं राहत विभाग आंकलन करेंगे, जिसकी रिपोर्ट के बाद प्रशासन मुआवजा आदि तय करेगा।


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