मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा- युवा मनुवादी नहीं मनवादी बनें Prayagraj News
मोरारी बापू ने कहा कि युवा डिबेट नहीं बल्कि डायलॉग करें। डिबेट के नाम पर टीवी चैनल में कचरे डाले जा रहे हैं। कहा कि डिबेट नहीं डायलॉग होना चाहिए। बहस नहीं संवाद होना चाहिए।
प्रयागराज,जेएनएन। युवाओं को सद्मार्ग पर चलने के लिए मोरारी बापू ने व्यास पीठ से बुधवार को आह्वान किया। कहाकि युवा मनुवादी नहीं बल्कि मनवादी बनें क्योंकि चित्त से ही चरित्र का निर्माण होता है। कहाकि मन को हमेशा अच्छे संकल्प से भरपूर रखें। मन ही ऐसा है जो जीवन में आनंद का एहसास दिलाता है। इसलिए मन को सदैव निर्मल बनाए रखें, तभी जीवन में आनंद की अनुभूति होगी। मोरारी बापू ने इसके अलावा यह भी कहा कि मानस विश्व का हृदय है। इसमें परम तत्व मौजूद हैं।
मन में अच्छे संकल्प लेकर युवा संवार सकते हैं भविष्य
मोरारी बापू ने मन, मानस और मुक्ति पर कथा को विस्तार देते हुए कहा कि मन में अच्छे बुरे विचार उछल कूद करें तो करने दो, वह थक कर शांत हो जाएंगे। मन में अच्छे संकल्प लेकर आज युवा अपना भविष्य संवार सकते हैं। उन्होंने कहाकि जातपात से ऊपर उठकर सोचें। हम सब मनु की संतान है। इसे लेकर कई भ्रांतियां हैं, कटुता है। इसे नजर अंदाज करते हुए बस इतना याद रखें कि मनु ही जगत के पिता हंै। अध्यात्म की गहराई में जाने पर इसका हल निकलता है। बापू ने कहा कि कुछ विधर्मियों ने शास्त्र में कचरा डाल दिया है। जिससे लोग भ्रमित हुए है। इसका संशोधन होना चाहिए।
डिबेट नहीं डायलॉग करें
मोरारी बापू ने कहा कि युवा डिबेट नहीं बल्कि डायलॉग करें। डिबेट के नाम पर टीवी चैनल में कचरे डाले जा रहे हैं। कहा कि डिबेट नहीं डायलॉग होना चाहिए। बहस नहीं संवाद होना चाहिए। मन का हमेशा सम्मान होना चाहिए। प्रभु भी मानते हैं कि मन के बिना जीवन में रस और रास नहीं रह जाता।
हृदय में परमात्मा का निवास
मोरारी बापू ने कहा कि मानस हृदय को कहते हैं। जिसमें परमात्मा निवास करता है। गहरी नींद में सोए हुए व्यक्ति को अनुभव हो कि गुरु आए हैं तो उस अवस्था हो हृदय कहते हैं। बिना कुछ करे कोई दस्तक सुनाई दे तो उसे हृदय कहते हैैं। कहा कि जब मन में कोई संकल्प विकल्प न रह जाए तो वही मुक्ति है।
ग्रंथ का रहस्य गुरु के बिना नहीं मिलता
मोरारी बापू ने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता। ग्रंथ पढ़कर लोग पंडित बन सकते हैं लेकिन, ज्ञानी बनने के लिए गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। कहा कि ग्रंथ का रहस्य गुरु के बिना नहीं मिलता है। गुरु पोथी नहीं हृदय खोलता है। जहां ज्ञान का भंडार है। गुरु ही भगवान के प्रति प्रेरित करता है और भगवत पथ पर अग्रसर करता है।
मन ही है तीरथराज प्रयाग
प्रयागराज की महिमा गाते हुए मोरारी बापू ने कहा कि मन तीरथराज प्रयाग है। ऐसा गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है। इसका अनुभव गुरु ही करा सकता है।
उद्धार को अवतार लेते हैैं भगवान
मोरारी बापू ने कहा कि जब-जब भक्तों पर संकट आता है, तब भगवान शरीर धारण करते हैैं। भक्तों के प्रेम में भगवान अपना नियम बदल देते हैं। कहा कि मनुष्य, कारण के चलते जन्म लेता है लेकिन, भगवान के लिये कोई कारण नहीं बता सकता है। भगवान सबके कारण हैं। कहा कि अधर्म बढ़ता है तब परमात्मा शरीर धारण करता है।