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मोरारी बापू ने कहा-प्रयाग में सनातन जड़ों के साथ अक्षयवट है अवधूत Prayagraj News

मोरारी बापू ने कहा कि मानस के सभी सोपान में वट के दर्शन होते हैं। इसे धर्म से जोड़ते हुए बापू ने कहा कि अपने धर्म में सभी को निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए। यही अक्षयवट है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 11:39 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 11:39 AM (IST)
मोरारी बापू ने कहा-प्रयाग में सनातन जड़ों के साथ अक्षयवट है अवधूत Prayagraj News
मोरारी बापू ने कहा-प्रयाग में सनातन जड़ों के साथ अक्षयवट है अवधूत Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में अक्षयवट अनादि काल से अपनी सनातन जड़ें डालकर अवधूत की तरह बैठा है। अक्षय यानी अखंड-अनंत। जो न कभी टूट सकता है और न ही कभी खत्म हो सकता है। इसका गर्व प्रत्येक भारतवासी को होना चाहिए। इसका गुणगान सभी को करना चाहिए। यह मेरे लिए निजी रूप से परम प्रसन्नता का अवसर है कि अपनी और श्रीराम कथा अक्षयवट भी सुन रहा है। मेरा पहला श्रोता अक्षयवट ही है। श्रीरामचरित मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने प्रयागराज के अरैल में श्री राम कथा की शुरुआत कुछ इन्हीं भावपूर्ण शब्दों से की। कथा रविवार से सुबह 9.30 से शुरू है जो दोपहर डेढ़ बजे तक होगी।

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कहा-अपने धर्म में सभी को निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए

देश-विदेश से आए हजारों श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए मोरारी बापू ने सबसे पहले 'रामकथा-मानस अक्षयवट' आयोजन का विषय निर्धारित किया। कहा कि प्रत्येक वट में किसी न किसी देवता का वास रहता है। वटवृक्ष में शिव का वास होता है। मानस के सभी सोपान में वट के दर्शन होते हैं। इसे धर्म से जोड़ते हुए बापू ने कहा कि अपने धर्म में सभी को निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए। इसी को अक्षयवट कहते हैं।

बोले, पीएम मोदी के प्रयास से अक्षयवट लोगों के दर्शन के लिए सुलभ हुआ

मोरारी बापू ने कहा कि वे 'कैलाश' पर कथा कहने की सोच रहे थे, सोच रहे थे कि मानसरोवर के तट पर कथा सुनाएं। उस समय दुर्लभ और दुर्गम लग रहा था। फिर मन में आया कि अक्षयवट की छांव में तो कथा हो ही सकती है, यह इच्छा पूरी हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय जाता है क्योंकि पहले अक्षयवट के दर्शन कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं था। जनभावना को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रयास किया और अक्षयवट लोगों के दर्शन के लिए सुलभ हो गया। अब उसी अक्षयवट को साक्षी मानकर कथा सुना रहे हैं यह गर्व की बात है।

युवाओं पर फोकस

मोरारी बापू ने कथा के दौरान युवाओं की मनोवृत्ति पर फोकस किया। कहा कि युवाओं को भोग रस की छूट है। खूब आनंदित रहें, खुलकर जिएं लेकिन याद रखें कि कभी उन्होंने मोरारी बापू से कथा सुनी थी।

युवाओं को दिए चार टिप्स

-जीवन में कभी नीरस न बनें क्योंकि हमारा परमात्मा ही रस है।

-जीवन परतंत्र न बनें। खुलकर आनंदित होकर और मौज में जिएं लेकिन माता-पिता, गुरु और शास्त्र की मर्यादा का ख्याल जरूर रखें।-मूर्छित न हों, सावधान रहें। एक दूसरे की निंदा, ईष्र्या, द्वेष करना ही मूर्छा के समान है।

-मोबाइल फोन का खूब उपयोग करते हैं। एक घंटे परमात्मा को भी देकर देखें। फिर देखें, इस एक घंटे में मानव बैटरी कैसे चार्ज होती है।


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