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प्रयागराज में बोले मोरारी बापू, मेरी शायरी पर ध्यान है, चौपाई गाता हूं उसे नहीं सुनते

रामघाट के पास बने पंडाल में मोरारी बापू ने श्रीराम कथा के जरिए सनातन धर्म की महिमा बखानी। धर्म की अच्छाइयां बताते हुए उसके (धर्म के) तथाकथित ठेकेदारों की मंशा पर प्रश्नचिह्न भी उठाया। बापू बोले मेरे बारे में कोई कुछ कहे तब भी उसकी निंदा न करो।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 08:04 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 08:04 PM (IST)
प्रयागराज में बोले मोरारी बापू, मेरी शायरी पर ध्यान है, चौपाई गाता हूं उसे नहीं सुनते
संगम तट के निकट रामघाट पर कथा सुनने के लिए उमड़े श्रोता

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। तपस्थली तीर्थराज प्रयाग की धरा में माघ मेला से पहले भक्ति की अद्भुत बयार बही। संस्कार, संयम व समर्पित भाव से ओतप्रोत हजारों नर-नारी व बच्चों का जुटान प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की कथा सुनने के लिए हुआ। बुधवार की सुबह बांध के नीचे रामघाट के पास बने पंडाल में मोरारी बापू ने श्रीराम कथा के जरिए सनातन धर्म की महिमा बखानी। धर्म की अच्छाइयां बताते हुए उसके (धर्म के) तथाकथित ठेकेदारों की मंशा पर प्रश्नचिह्न भी उठाया। बापू बोले, मेरे बारे में कोई कुछ कहे, सवाल उठाए तब भी उसकी निंदा न करो। उसकी बातों पर सोचो ही मत। मेरे श्रोता यही समझें कि वो अपने भाव से अपना घराना बता रहा है। कहा कि कथा में मेरे द्वारा बोली जाने वाली शायरी को वो (विरोध करने वाले) सुन लेते हैं, लेकिन चौपाई का गाता हूं उसको नहीं सुनते। धर्म का हवाला देकर नाचना, गाना, हंसना मना करते हैं, जो अनुचित है।

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कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी...

बापू ने कहा कि इस धरती पर शिव ने नृत्य किया था, मीरा, चैतन्य व उद्धव ने नृत्य करके पाया। वहीं, नानक देव गाकर पाए। नृत्य स्वयं मर्यादा सिखाती है। बताया कि सनातन धर्म व उसकी संस्कृति को खत्म करने के लिए बाहर से आए लोगों ने बहुत प्रहार किया, तमाम अत्याचार किए। फिर भी हमारा अस्तित्व खत्म नहीं कर पाए। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी...। बोले, हमारी संस्कृति को कोई नष्ट कर भी नहीं पाएगा। कहा कि कथा सन्मुख बैठकर सुनना चाहिए। गुरु मुख से सुनना कथा का श्रेष्ठ श्रवण है। श्रीरामचरितमानस के अयोध्याकांड का जिक्र करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के रस (अर्थ) की व्याख्या करते हुए बताया कि धर्म का रस वैराग्य में है। वैराग्य का मतलब घर, परिवार छोडऩा नहीं है। बल्कि श्रेष्ठ को पकडऩा ही सच्चा वैराग्य है। अर्थ का रस उसको दीन-दुखियों तक पहुंचाने में है। लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, लेकिन पैसों को अच्छे काम में प्रवाहित करते रहो। काम का रस प्रीति है, जबकि मोक्ष रूपी फल का रस है साधुओं की मस्ती। कहा कि श्रीराम के नाम में वह ताकत है, जिससे कहीं भी भीड़ जुट जाती है, इसमें बापू का कोई चमत्कार नहीं है। कथा में महामंडलेश्वर संतोष दास ''सतुआ बाबा, महामंडलेश्वर कल्याणीनंद गिरि आदि मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री से जताई सहमति

मोरारी बापू ने कहा कि भारत तपस्वियों का देश है। यही इसकी ताकत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ में आदिशंकराचार्य की मूर्ति लगाते समय कहा था कि देश के कोने-कोने में तपस्वी विराजमान हैं। यह सुनकर मुझे अच्छा लगा था।

गुरु की पादुका फर्नीचर नहीं, तुम्हारा फ्यूचर है

मोरारी बापू ने चरण पादुका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीराम के वनवास जाने पर अवध में 14 वर्षों तक न कोई पैदा हुआ न ही मरा। वह संयम का अद्भुत कालखंड था। उस समय श्रीराम की चरण पादुका परिक्रमा करके संयम कायम कराती थी, जिससे किसी की मृत्यु न होने पाए। बोले, पादुका का जिक्र सिर्फ सनातन धर्म में है। इसके अलावा पादुका कहीं सुनने को नहीं मिलती। पादुका हर समय हमारी रक्षा करती है। अगर गुरु की चरण पादुका तुम्हारे पास है तो वह लकड़ी की फर्नीचर नहीं, बल्कि तुम्हारा फ्यूचर है।

चित्रकूट हुए रवाना

त्रेतायुग में श्रीराम वनवास जाते समय जहां-जहां रुके थे, मोरारी बापू वहां कथा कह रहे हैं। इसके तहत गुरुवार को वाल्मीकि आश्रम चित्रकूट में कथा सुनाएंगे। वे बुधवार की दोपहर चित्रकूट रवाना हो गए।


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