मोदी का चुनाव रद करने को खुली अदालत में सुनवाई के बाद याचिका खारिज
वाराणसी सांसद नरेंद्र मोदी के चुनाव के खिलाफ अजय राय की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने खुली अदालत में फैसला सुनाया।
इलाहाबाद (जेएनएन)। वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने चुनाव में कांगे्रस प्रत्याशी रहे अजय राय की याचिका आरोपों के पुख्ता साक्ष्य न देने के आधार पर सुनवाई योग्य नहीं माना और चुनाव याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में दिए गए तथ्यों से कोई वाद कारण स्पष्ट नहीं हो रहा है। ऐसे में याचिका की सुनवाई का कारण नहीं है। कोर्ट ने मोदी की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर की गई आपत्तियों को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने बुधवार को दिया है। याची का कहना था कि मोदी ने अपनी पत्नी की संपत्ति का ब्यौरा नहीं देकर चुनाव आयोग में गलत हलफनामा दिया है। उन्होंने चुनाव प्रचार में बाहरी लोगों को इकट्ठा कर करोड़ों रुपये खर्च किए जो चुनाव आचार संहिता एवं चुनाव खर्च की 20 लाख की तय खर्च सीमा के विपरीत है। अजय राय के वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा व जितेंद्र कुमार ने बहस की। कोर्ट ने बिना अर्जी दिए साक्ष्य देने की मांग भी अस्वीकार कर दी। मोदी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन व केआर सिंह ने बहस की। इनका कहना था कि याचिका में तथ्यहीन निराधार मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं। तथ्यहीन आरोपों को लेकर दाखिल याचिका सुनने योग्य नहीं हो सकती। उसे खारिज किया जाए।
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हाईकोर्ट पिछले तीन दिन से खुली अदालत में फैसला सुना रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मोदी ने चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च किए, किंतु आयोग को खर्च का गलत ब्यौरा दिया। बाहरी लोगों को बुलाया गया, उनके ठहरने खाने व आने-जाने, दो होटल व विराट बिला बुक कराया गया। लाखों खर्च किया गया। 400 मोबाइल एलसीडी लगी, वैन प्रचार में लगी। मीडिया रिपोर्ट की सीडी पेश कर याचिका का पार्ट मानने की प्रार्थना की। पूरे देश में करोड़ों खर्च कर की गई रैलियों में मोदी के खर्च शेयर को ब्यौरे में शामिल नहीं किया गया।
कोर्ट ने इन तथ्यों पर विचार करते हुए कहा कि याची ने यह नहीं बताया कि खर्च मोदी या उनके अधिकृत किस व्यक्ति ने किया या फिर मोदी की सहमति से खर्च किया गया। कैम्पेन में पांच हजार करोड़ खर्च करने का आरोप निराधार है। जो भी आरोप लगाए गए हैं, उनके पक्ष में कोई तथ्य नहीं है। चुनाव में कदाचार का आरोप तभी बन सकता है, जब यह साबित हो कि प्रत्याशी या उससे संबद्ध व्यक्ति ने खर्च किए हो और ब्यौरा छिपाया हो। चुनाव में अधिक खर्च हो सकता है किंतु खर्च ज्यादा हुआ है तो उसका ब्यौरा दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि 'मैजिक फिगर' देकर चुनाव याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। ट्रायल के लिए ठोस तथ्य व साक्ष्य होने चाहिए। अजय राय ने अधूरे मन से याचिका दाखिल की है। तथ्यों से वाद कारण न होने के कारण याचिका खारिज होने योग्य है।