संवर गई इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की सूरत
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का नजारा बदल गया है। जहां पहले गंदगी फैली रहती थी वहीं अब काफी बदलाव आ गया है।
प्रयागराज : आचार्य धीरेंद्र वर्मा, रघुवंश, रामस्वरूप चतुर्वेदी और सत्यप्रकाश मिश्र जैसे बड़े साहित्यकारों का केंद्र रहे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का नजारा अब बदला-बदला सा नजर आ रहा है। यह महत्वपूर्ण विभाग अब काफी संवर चुका है। यदि पिछले कुछ सालों की बात करें तो विभाग पर धूल और गर्द की परत जम गई थी। विभाग में 15 वर्ष से रंगरोगन तक नहीं हुआ था।
पहले और अब में काफी हुआ बदलाव
निराला और महादेवी के नगर में हिंदी विभाग जर्जर अवस्था में पहुंच गया था। जानकारी होने पर कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू ने अक्टूबर माह में इस विभाग की सूरत बदलने की कवायद शुरू की। छह से सात महीने के बीच विभाग की पुरानी रंगत लौट आई। पहले आलम यह था कि विभाग में गंदगी का ढेर लगा था। छात्र-छात्राओं के शौचालय की व्यवस्था तक नहीं थी। शिक्षकों का टोटा था। अब विभाग में 32 शिक्षकों की नियुक्ति भी हो गई।
बोले इविवि के जनसंपर्क अधिकारी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. चित्तरंजन कुमार का कहना है कि पिछले 20 सालों से हिंदी विभाग में किसी आधारभूत संरचना का विकास नहीं हुआ था। यहां तक कि कई शिक्षकों के बैठने के लिए मेज और कुर्सी तक नहीं थी। अब काफी बदलाव आया है। हाल ही में 70 शोध छात्रों का नामांकन भी हिंदी विभाग में किया गया। जबकि पिछले दो साल से विभाग में एक भी शोध छात्र का नामांकन नहीं किया गया था।
बोलीं हिंदी विभागाध्यक्ष
विभागाध्यक्ष प्रो. चंदा देवी का कहना है कि हिंदी विभाग में आधारभूत संरचना के साथ साथ शैक्षिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। यही नहीं गोष्ठियों और सेमिनार के लिए ऊपरी तल पर एक बड़ा सभागार निर्माणाधीन है। यह जून तक बन जाएगा।