UPPSC और प्रतियोगियों के बीच खिंची मॉडल पेपर की दीवार, जानिये क्यों जरूरी है यह...
UPPSC ने जब UPSC की तर्ज पर पीसीएस की मुख्य परीक्षा का पैटर्न और पाठ्यक्रम बदलने का एलान किया था उसी समय से प्रतियोगी मॉडल पेपर जारी करने की मांग कर रहे हैं।
प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उप्र लोकसेवा आयोग (UPPSC) के अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार तीन माह से आयोग की कार्यशैली बदल रहे हैं। इस दौरान परीक्षा और परिणाम के कई कीर्तिमान भी बने हैं, लेकिन उनमें तीन बेहद अहम हैं। पहला 2019, 2020 का विस्तृत परीक्षा कैलेंडर, आयोग के दरवाजे प्रतियोगियों के लिए खोले और रिकॉर्ड समय में पीसीएस 2017 का साक्षात्कार पूरा कराया है। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि परीक्षाएं कैलेंडर की तारीख देखकर होंगी, वह अब अनायास टाली नहीं जाएंगी।
इतना होने के बाद भी प्रतियोगियों की एक अहम मांग अधूरी है। असल में, यूपीपीएससी ने जब यूपीएससी की तर्ज पर पीसीएस की मुख्य परीक्षा का पैटर्न और पाठ्यक्रम बदलने का एलान किया था, उसी समय से प्रतियोगी मॉडल पेपर जारी करने की मांग कर रहे हैं। अफसरों ने कुछ मौकों पर मॉडल पेपर जारी कराने का भरोसा भी दिया। संयोग ऐसा रहा कि बदले पाठ्यक्रम की परीक्षा का मुहूर्त ही तय नहीं हो पा रहा था। जून में प्रस्तावित परीक्षा चंद दिन पहले टाली गई। अक्टूबर में परीक्षा के पहले कोर्ट के आदेश से फिर असमंजस बना, जो अब दूर हो चुका है। मॉडल पेपर के लिए प्रतियोगी अध्यक्ष डॉ. कुमार से भी मिले थे और मांग की थी। आश्वासन भी मिला, लेकिन वह अभी अधूरा है।
क्यों जरूरी है मॉडल पेपर
पीसीएस मुख्य परीक्षा के नए पैटर्न में अब दो के बजाए सिर्फ एक वैकल्पिक विषय है। इसके दो प्रश्नपत्र होने हैं। वहीं, सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों की संख्या दो से बढ़कर चार हो गई है। प्रतियोगी चाहते थे कि अब एक वैकल्पिक विषय होने से किस तरह के सवाल होंगे और सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र जब बढ़ रहे हैं तो बढ़ने वाले प्रश्न कैसे होंगे? मॉडल पेपर आने से उन्हें काफी सहूलियत हो जाती।
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भर्ती के पद अधिक, स्पर्धा कड़ी
पीसीएस भर्ती 2018 में 988 पदों के लिए परीक्षा होगी। इसमें डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक सहित तमाम अन्य अहम पद हैं। आमतौर पर इतने पदों की परीक्षा नहीं होती रही है, ऐसे में सब हर हाल में चयनित होना चाहते हैं।
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सीसैट का कड़वा अनुभव
सीसैट यानी सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूट टेस्ट। यूपीएससी ने 2011 में इसे लागू किया और बाद में यह यूपीपीएससी में भी लागू हुआ। इसका हिंदी पट्टी में जबरदस्त विरोध हुआ। अब यह क्वालीफाइंग हो गया है। इसके लिए अभ्यर्थियों को अलग से अवसर देना पड़ा था।