CAA Protest : एमएलसी बासुदेव यादव ने कहा-सभी वर्ग के लोग सीएए से होंगे प्रभावित Prayagraj News
सीएए के विरोध में मंसूर अली पार्क में इन दिनों धरना-प्रदर्शन हो रहा है। इसमें एमएलसी वासुदेव यादव भी पहुंचे। कहा कि इस काले कानून से साधु संत और भूमिहीन भी परेशान होंगे।
प्रयागराज, जेएनएन। रोशन बाग के मंसूर अली पार्क में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन जारी है। आठवें दिन धरनास्थल पहुंचे विधान परिषद सदस्य बासुदेव यादव ने कहा कि इस अधिनियम से अनुसूचित जाति, पिछड़े, भूमिहीन और साधु संत भी प्रभावित होंगे, जिनका अपना घर या कागजात नहीं हैैं। ऐसे में सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन का समर्थन जरूरी है।
बोले, इस अधिनियम से जुड़ी किसी कागजात पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे
बासुदेव ने कहा कि हम प्रण लेते हैं कि किसी भी कीमत पर पर इस अधिनियम से जुड़ी किसी कागजात पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। उन्होंने आंदोलन कर रहे लोगों पर मुकदमा लिखने की भी आलोचना की। पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से लिखित रूप से कह दिया है कि धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों को परेशान नहीं किया जाए। साथ मौजूद सपा के निर्वतमान महानगर अध्यक्ष इफ्तेखार हुसैन ने कहा कि हमारी लड़ाई भाजपा से नहीं इस काले कानून से है। इसे कतई नहीं लागू होने दिया जाएगा। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय सचिव एस अमीनुल हसन, डॉ. शाहीन आगा, एआईएमएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने भी धरनास्थल पहुंच महिलाओं को संबोधित किया।
मंसूर अली पार्क में धरना स्थल पर बैरिकेडिंग का दायरा बढ़ा
इस बीच मंसूर अली पार्क में धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं की संख्या में और इजाफा हो गया है। इस वजह से बैरिकेडिंग का दायरा बढ़ा दी गई है।
दरियाबाद से महिलाओं ने निकाली तिरंगा यात्रा
भाजपा की सीएए के समर्थन में निकाली गई तिरंगा यात्रा की तर्ज पर दरियाबाद से सीएए के विरोध में तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रहीं जो हाथ में तिरंगा थामे रहीं। माथे पर भी तिरंगा पट्टïी लगाए थीं। महिलाएं नो एनआरसी नो सीएए के नारे लगाते हुए दरियाबाद से पैदल मंसूर अली पार्क पहुंची। साथ में तमाम लड़कियां और बच्चे भी थे। महिलाएं हाथों में ङ्क्षहदुस्तान जिंदाबाद और इंकलाब लिखी तख्तियां भी थामे थीं।
सीएए विरोधियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
रोशन बाग स्थित मंसूर अली पार्क में पिछले नौ दिनों से सीएए के विरोध में जारी धरना-प्रदर्शन में शामिल लोगों की निगाह 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और फैसले पर टिकी है। जो भी फैसला आएगा, उस पर विरोध का भविष्य तय किया जा सकता है।