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बच्चा खो गया है तो तलाशना होगा आसान, पोर्टल करेगा मदद, जानिए कैसे होगी उसकी पहचान Prayagraj News

श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल एंड कालेज में कुछ दिन पहले एक कार्यशाला में आईं प्रो. नीता नैन ने बताया कि पोर्टल बनाया है। इस पर कोई भी खोए बच्चों की फोटो उम्र और जानकारी दे सकता है। बच्चे की फोटो के माध्यम से हम उसकी वर्तमान इमेज का पता करते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 01:43 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 01:43 PM (IST)
बच्चा खो गया है तो तलाशना होगा आसान, पोर्टल करेगा मदद, जानिए कैसे होगी उसकी पहचान Prayagraj News
पोर्टल की सहायता लेने से खोए हुए बच्‍चे को ढूंढने में आसानी होगी।

प्रयागराज, जेएनएन। मेले-ठेले में या ट्रेन-बस पकडऩे की आपाधापी में कई बार लोगों के बच्चे खो जाते हैं। कुंभ या माघ मेले में बचपन में बिछड़े बेटे के जवानी में अपने मां-बाप से मिलने की कहानी तो फिल्मों में देखी या सुनी होगी। अब बिछड़ गए जिगर के टुकड़े को खोजना आसान होगा। इसमें सहयोग करेंगी एमएनआइटी जयपुर की प्रोफेसर डाॅ. नीता नैन। उन्‍होंने एक तकनीक विकसित की है, जिससे 10-15 वर्ष पहले अपनों से बिछड़ गए बच्चों की तलाश आसान होगी और वह परिवार से मिल सकेंगे। इसका जिक्र उन्‍होंने पिछले दिनों प्रयागराज दौरा के दौरान किया था।

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लर्निंग फेस एजिंग मॉड्यूल मशीन से आसान होगी तलाश

एमएनआइटी जयपुर के डिपार्टमेंट ऑफ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीता नैन ने बताया कि बच्चों के चेहरे बदल जाते हैं जिससे उनकी पहचान मुश्किल होती है। इसी को देखते हुए हमारी टीम ने एक मशीन लर्निंग फेस एजिंग मॉडल विकसित किया है जो बच्चे की पुरानी फोटो के आधार पर उनकी वर्तमान उम्र के हिसाब से बताता है कि अब उसका चेहरा कैसा होगा, जिससे उक्त बच्चे की खोज आसान हो सकेगी। 

पोर्टल 'खोज अपनों की' पर दे सकते हैं खोने की जानकारी

श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल एंड कालेज में कुछ दिन पहले एक कार्यशाला में आईं प्रो. नीता नैन ने बताया कि khoj apno ki.mnit.ac.in नाम से एक पोर्टल बनाया है। इस पर कोई भी अपने खोए बच्चों की फोटो, उम्र और जानकारी दे सकता है। बच्चे की फोटो के माध्यम से हम उसकी वर्तमान इमेज का पता करते हैं। जैसे कि बच्चा यदि दस साल की उम्र में खोया था तो दस साल बाद उसका चेहरा कैसा होगा, यह मशीन बताती है। इसके आधार पर उसे तलाश किया जा सकता है। इसके लिए पुलिस और एनजीओ की मदद ली जा सकती है। 

अभी तक मिले हैं 70 फीसद सटीक परिणाम

प्रो. नीता नैन का कहना है कि हमने तमाम बच्चों की कई साल पहले की फोटो से उसके वर्तमान चेहरे को मैच कराने की टेस्टिंग की तो परिणाम 70 फीसद सटीक मिले। मशीन ने बच्चों की पुरानी फोटो से उसकी वर्तमान छवि हूबहू प्रस्तुत की। बताया कि दो से 14 साल तक के बच्चों के चेहरे में बहुत परिवर्तन आते हैं। ऐसे में खो गए बच्चे की पहचान कठिन होती है। इस पर मैने रिसर्च किया और परिणाम बेहतर मिले। 

खोए बच्चों को खोजने में मिलेगी मदद, चाइल्ड टै्रफिकिंग भी रुकेगी

डाॅ. नीता नैन ने बताया कि देश में 50 फीसद जनसंख्या बच्चों की है। अमूमन हर दस मिनट में एक बच्चा खोता है। यह समस्या देश में तेजी के साथ बढ़ रही है। चाइल्ड ट्रैफिकिंग भी की जाती है। आमतौर पर पैरेंट्रस के पास केवल उसकी एकाध फोटो ही होती है लेकिन उससे बच्चे की तलाश काफी मुश्किल होता है जिसे हमारी मशीन ने आसान करने का काम किया है। 

बोलीं, श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य

श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रबिंदर बिरदी ने बताया कि कार्यशाला में चार पैरेंट्स ने बताया कि उनका बच्चा पांच या दस साल पहले खो चुका है। ऐसे में डाॅ. नीता नैन से उनको मदद मिल सकेगी। यह बहुत ही अच्छा कार्य है।


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