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MUNPL: प्रयागराज के मेजा में दिसंबर से शुरू हो जाएगा सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र

Meja Urja Nigam Private Limited प्रयागराज में मेजा थर्मल पावर प्लांट उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट है जो दिसंबर तक पूरी तरह चालू हो जाएगा। मुख्य कार्यपालक अधिकारी असीम कुमार सामंत ने कहा कि वर्तमान में प्लांट 80-85 प्रतिशत के प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) में चल रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 06:00 PM (IST)
MUNPL: प्रयागराज के मेजा में दिसंबर से शुरू हो जाएगा सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र
संयंत्र से उत्पादित 82 प्रतिशत बिजली की खपत उत्तर प्रदेश में होगी

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश को ताप बिजली का एक और संयंत्र मिल जाएगा। दिसंबर तक प्रयागराज के मेजा ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड का संयंत्र काम करने लगेगा। मेजा ताप बिजली संयंत्र से अगले महीने से बिजली का उत्पादन होने लगेगा।

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मेजा ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (एमयूएनपीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) असीम कुमार सामंता ने बताया कि यह उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र है। प्रयागराज में मेजा थर्मल पावर प्लांट, उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट है जो दिसंबर तक पूरी तरह चालू हो जाएगा। सामंत ने कहा कि वर्तमान में प्लांट 80-85 प्रतिशत के प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) में चल रहा है।

एमयूएनपीएल सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी लिमिटेड और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (यूपीआरवीयूएनएल) का 50:50 का संयुक्त उद्यम है। इस संयुक्त उद्यम का गठन 2008 में राज्य के प्रयागराज जिले से करीब 45 किलोमीटर दूर मेजा में 1,320 मेगावॉट (2 गुणा 660 मेगावॉट) का कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्र लगाने के लिए किया गया था। सामंता ने कहा कि सुपरक्रिटिकल संयंत्र की पहली इकाई 30 अप्रैल, 2019 से चालू हो गई है। दूसरी इकाई वाणिज्यिक परिचालन के लिए तैयार है। यह अगले महीने से चालू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि दूसरी इकाई चालू होने के बाद यह संयंत्र पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा। सामंता ने बताया कि संयंत्र सड़क के जरिये प्रयागराज से जुड़ा हुआ है।

सीईओ ने कहा कि मेजा संयंत्र का अपना 28 किलोमीटर का ढुलाई गलियारा है, जिससे कोयले जैसी महत्वपूर्ण सामग्री को रेल के जरिये संयंत्र में लाने में मदद मिलती है। यह संयंत्र बिजोरा गांव में 30 किलोमीटर की पाइपलाइन के नेटवर्क के जरिये गंगा नदी से भी जुड़ा हुआ है। इससे औद्योगिक इस्तेमाल के लिए पानी लाने में मदद मिलती है। सामंता ने कहा कि मेजा ताप बिजली स्टेशन उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र (एससीपीपी) है। उन्होंने कहा कि यह सब-क्रिटिकल बिजली संयंत्रों की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक दक्ष होता है। इसमें 20 प्रतिशत कम कोयले का इस्तेमाल होता है तथा कॉबर्न उत्सर्जन भी कम होता है। सुपरक्रिटिकल कोयला संयंत्र आधुनिक डिजाइन वाला कोयला आधारित बिजली संयंत्र होता है।

परंपरागत कोयला संयंत्रों की तुलना में इसमें पानी एक सुपरक्रिटिकल तरह पदार्थ के रूप में काम करता है। इसमें सामान्य संयंत्र की तुलना में पानी के लिए कम गर्मी स्थानांतरित करने की जरूरत होती है जिससे कोयला कम लगता है। सामंता ने बताया कि हम संयंत्र और आसपास के क्षेत्रों में कई कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल चला रहे हैं। हमने समुदायों के लिए बुनियादी ढांचा भी लगाया है और वृक्षारोपण भी किया है। इस संयंत्र से उत्पादित बिजली के इस्तेमाल के बारे में सामंता ने कहा कि ग्रिड के जरिये बिजली की आपूॢत कई राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को की जाएगी। इसका अपना 28 किलोमीटर का फ्रेट कॉरिडोर है, जो रेल से प्लांट करने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री जैसे कोयला लाने में मदद करता है। यह प्लांट औद्योगिक उद्देश्यों के लिए पानी का परिवहन करने के लिए लगभग 30 किलोमीटर पाइपलाइन के नेटवर्क के माध्यम से बिजोरा गांव में गंगा नदी से भी जुड़ा हुआ है।

उन्होंने बताया कि संयंत्र से उत्पादित 82 प्रतिशत बिजली की खपत उत्तर प्रदेश में होगी। पांच प्रतिशत बिजली राजस्थान को, 4.8 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर को, 3.6 प्रतिशत पंजाब, 2.8 प्रतिशत उत्तराखंड को और शेष चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश को दी जाएगी। 


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