Kanpur Encounter : प्रतापगढ़ के शहीद दारोगा अनूप सिंह की कानपुर जनपद में थी पहली तैनाती
प्रयागराज में रही पत्नी से दारोगा अनूप सिंह गुरुवार की रात फोन पर हुई बात के दौरान बोले थे कि एक-दो दिन में घर आऊंगा। हालांकि होनी को कुछ और ही मंजूर था।
प्रयागराज, जेएनएन। कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे गैैंग से मुठभेड़ में शहीद हुए प्रतापगढ़ जिले के अनूप सिंह की दारोगा के पद पर पहली तैनाती कानपुर में वर्ष 2017 में हुई थी। 21 वर्ष की उम्र में 2004 में कांस्टेबल पद पर उनका चयन हुआ था। वह आखिरी बार तीन माह पहले मां की तबीयत खराब होने पर उन्हें देखने आए थे।
दस साल प्रयागराज में बतौर सिपाही रही तैनाती, 2015 बैच के थे दारोगा
जिले के मानधाता थाना क्षेत्र के बेलखरी गांव निवासी दारोगा अनूप कुमार सिंह ने पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद 10 साल प्रयागराज में नौकरी की थी। सिपाही की नौकरी के दौरान भी उनमें दारोगा बनने का जुनून था। वह वर्ष 2015 बैच के दारोगा थे।
अनूप की शहादत से हतप्रभ हैं साथी दारोगा
उन्नाव में ट्रेनिंग करने के बाद अगस्त 2017 में उनकी तैनाती कानपुर नगर जिले में हुई। तब से वहीं पर तैनात थे। उन्होंने प्रतापगढ़ जिले में तैनात मोहनगंज चौकी प्रभारी विवेक मिश्र, हथिगवां थाने में तैनात दारोगा सूर्य प्रताप सिंह, नगर कोतवाली मेंं तैनात दारोगा दिनेश सिंह, अंतू थाने में तैनात दारोगा योगेंद्र सिंह ने अनूप सिंह के साथ उन्नाव में ट्रेनिंग की थी। चौकी इंचार्ज विवेक मिश्र का कहना है कि अनूप काफी मिलनसार स्वभाव के थे। दारोगा सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि अनूप इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उनके सीनियर थे। कुछ दिन वह ताराचंद्र हास्टल में रहे थे। यही नहीं मानधाता थाने में तैनाती के दौरान वह अनूप के घर भी गए थे। यह सभी दारोगा अनूप सिंह की शहादत की खबर सुनकर हतप्रभ हैं। उधर, परिवार के लोग उनकी शहादत की खबर सुनकर शुक्रवार सुबह ही कानपुर चले गए। घर में मां और पत्नी हैैं। आस पड़ोस और रिश्तेदार उन्हें ढांढस बंधा रहे हैैं।
रात में पत्नी से बोले थे, एक-दो दिन में आऊंगा घर
प्रयागराज में रही पत्नी से दारोगा अनूप सिंह गुरुवार की रात फोन पर हुई बात के दौरान बोले थे कि एक-दो दिन में घर आऊंगा। हालांकि होनी को कुछ और ही मंजूर था। अनूप के आने से पहले उनके शहादत की खबर घर आ गई। आखिरी बार अनूप तीन महीने पहले मां के बीमार होने पर घर आए थे। बेलखरी निवासी दारोगा अनूप कुमार सिंह के पिता रमेश बहादुर सिंह रेलवे में फिटर पद पर लुधियाना में तैनात थे। वह 2014 में रिटायर हुए थे, तब से घर पर रहकर खेतीबारी कर रहे हैं। अनूप तीन भाइयों में मझला था। बड़े भाई आलोक सिंह हंडिया में यहां मामा के घर रहकर मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं। जबकि सबसे छोटा भाई अनुज सिंह घर पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ स्टेट बैंक से ग्राहकों का स्वास्थ्य बीमा भी करता हैं।
प्रयागराज में किराए पर रहते थे बच्चे
दारोगा अनूप सिंह ने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रयागराज शहर के अल्लापुर में किराए पर मकान ले रखा था। वहां उनकी पत्नी नीतू सिंह बेटी गौरी व बेटे श्रेयांस के साथ रहती हैं। बेटी सेंट मैरी स्कूल में कक्षा पांच की छात्रा है। जबकि बेटा अभी घर के पास एक कोचिंग सेंटर में शुरुआती शिक्षा ग्रहण कर रहा हैं। दारोगा अनूप सिंह करीब तीन महीने पहले मां जड़ावती के बीमार होने पर घर आए थे। यहां से मां को प्रयागराज में इलाज कराए थे और कुछ दिनों के लिए वहीं पत्नी के यहां के पास छोड़ गए थे। स्वास्थ्य में सुधार होने पर मां इन दिनों घर पर ही थीं। स्वजनों के अनुसार अनूप ने गुरुवार की रात पत्नी को फोनकर हाल चाल लिया और फिर एक-दो दिन में घर आने की बात कही थी। पर प्रकृति की कितनी विडंबना रही कि उनके आने के पहले उनकी शहादत की खबर घर आ गई। अनूप की शादी करीब 13 साल पहले सुल्तानपुर जिले के गरएं गांव की नीतू से हुई थी।